Book Name:Tilawat-e-Quran Aur Musalman
कम तीन दिन या सात दिन या चालीस दिन में क़ुरआने करीम ख़त्म करे ताकि मआ़नी व मत़ालिब को समझ कर तिलावत करे । (अ़जाइबुल क़ुरआन, स. 238) ٭ तरतील के साथ इत़मीनान से और ठहर ठहर कर तिलावत करे । (अ़जाइबुल क़ुरआन, स. 238) ٭ तिलावत के लिये सब से अफ़्ज़ल वक़्त साल भर में रमज़ान शरीफ़ के आख़िरी दस अय्याम और ज़ुल ह़िज्जा के इब्तिदाई दस दिन हैं । (अ़जाइबुल क़ुरआन, स. 239)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ए'लानात
आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! नेकी की दा'वत देने और बुराई से मन्अ़ करने के सबब दुन्या का निज़ाम दुरुस्त रहता है और तर्क की वज्ह से फ़साद बरपा हो जाता है । लोग उस वक़्त तक भलाई पर रहेंगे, जब तक नेकी पर कारबन्द रहेंगे और उस की दा'वत देते रहेंगे और बुराई से रुके रहेंगे और उस से मन्अ़ करते रहेंगे । (नेकी की दा'वत के फ़ज़ाइल, स. 16)
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! हर _____ को _____________ मक़ाम से _____ बजे इस्लामी बहनें मदनी दौरे के लिये रवाना होती हैं । आप भी निय्यत फ़रमा लें कि मदनी दौरे में ज़रूर शिर्कत करेंगी, اِنْ شَآءَ اللّٰہ । तमाम इस्लामी बहनें निय्यत फ़रमा लें कि हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में पाबन्दी से शिर्कत किया करेंगी कि अगर हम पाबन्दी से हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में शिर्कत करेंगी, तो अच्छी अच्छी बातें सीखती रहेंगी । اِنْ شَآءَ اللّٰہ
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! दा'वते इस्लामी कमो बेश 107 शो'बाजात में दीने मतीन की ख़िदमत में मुल्क व बैरूने मुल्क सरगर्मे अ़मल है, ह़ालांकि ह़ालात ऐसे हैं कि आज गुनाहों के फैलाने पर बहुत ज़ियादा सरमाया ख़र्च किया जा रहा है । आइये ! हम गुनाहों को रोकने और दीन को फैलाने के लिये अपना सरमाया ख़र्च करने का अ़ज़्म करें ।
तमाम इस्लामी बहनें येह पेम्फ़लेट "रमज़ान में गुनाह करने वाले की क़ब्र का भयानक मन्ज़र" मक्तबतुल मदीना से ज़ियादा ता'दाद में वरना कम अज़ कम 12 या ह़स्बे तौफ़ीक़ ख़रीद फ़रमा कर इसे तक़्सीम फ़रमाएं और अपने घर में नुमायां जगह पर आवेज़ां फ़रमाएं, इस की बरकत से गुनाहों से बचने का जे़हन बनेगा । اِنْ شَآءَ اللّٰہ
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ माहे रमज़ानुल मुबारक में शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत बा'दे नमाज़े अ़स्र व बा'दे नमाज़े तरावीह़ मदनी मुज़ाकरे के लिये वक़्त अ़त़ा फ़रमाते हैं जो कि मदनी चेनल पर बराहे रास्त पेश किया जाता है । तमाम इस्लामी बहनों से मदनी इल्तिजा है कि लाज़िमी इन दोनों मदनी मुज़ाकरों में ख़ुद भी शिर्कत फ़रमाएं बल्कि घर की दीगर इस्लामी बहनों को भी एहतिमाम के साथ इन मदनी मुज़ाकरों को दिखाने की तरकीब बनाएं, اِنْ شَآءَ اللّٰہ इ़ल्मो ह़िक्मत के बे शुमार मोती मिलेंगे ।
अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ "मदनी मुज़ाकरा 1113" में फ़रमाते हैं कि "इस्लामी बहनों को चाहिये कि अपने मह़रम को मदनी क़ाफ़िले में भेजें, मह़रम ने इतनी ई़दें हमारे साथ गुज़ारी हैं, अल्लाह करीम की राह में भी कोई ई़द गुज़ारें ।" तमाम इस्लामी