Tilawat-e-Quran Aur Musalman

Book Name:Tilawat-e-Quran Aur Musalman

सिरात़ुल जिनान में क़ाबिले ए'तिमाद उ़लमाए किराम की क़दीम व जदीद क़ुरआनी तफ़ासीर और दीगर इस्लामी उ़लूम पर लिखी गई किताबें, बिल ख़ुसूस आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की लिखी हुई कसीर किताबों से कलाम मुन्तख़ब कर के आसान अन्दाज़ में पेश किया गया है । (3) तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान न ज़ियादा लम्बी है, न ही बहुत मुख़्तसर बल्कि दरमियानी है । (4) तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान में आसान अन्दाज़ इख़्तियार किया गया है ताकि आ़म इस्लामी भाई भी इस से फ़ाइदा ह़ासिल कर सकें । (5) तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान में आ'माल की इस्लाह़ के लिये मुआ़शरती बुराइयों का तज़किरा और मुआ़शरती बुराइयों के अ़ज़ाबात भी बयान किये गए हैं । (6) तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान में बात़िनी अमराज़ के बारे में भी तफ़्सील से कलाम किया गया है । (8) तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान में वालिदैन, रिश्तेदारों, यतीमों, पड़ोसियों वग़ैरा के साथ अच्छा सुलूक करने और सिलए रेह़्मी करने के बारे में भी इस्लाह़ी मवाद मौजूद है । (9) तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान में अ़क़ाइदे अहले सुन्नत और मा'मूलाते अहले सुन्नत की दलाइल के साथ वज़ाह़त की गई है । आप भी निय्यत कीजिये कि रोज़ाना कम अज़ कम तीन आयात तर्जमा व तफ़्सीर के साथ "सिरात़ुल जिनान" का मुत़ालआ़ करेंगे और क़ुरआने पाक की ता'लीमात पर न सिर्फ़ ख़ुद अ़मल करेंगे बल्कि दूसरे इस्लामी भाइयों को भी तरग़ीब दिलाएंगे । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

तिलावत करने के मदनी फूल

          आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! आइये ! तिलावत करने के चन्द   मदनी फूल सुनने की सआ़दत ह़ासिल करती हैं । पहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिये :

1.      फ़रमाया : क़ुरआन पढ़ो क्यूंकि वोह क़ियामत के दिन अपने पढ़ने वालों के लिये शफ़ाअ़त करने वाला हो कर आएगा । (مسلم ، کتاب صلاۃ المسافرین وقصرہا، باب فضل قراء ۃ القرآن وسورۃ البقرۃ، ص۳۱۴، حدیث:۱۸۷۴)

2.      फ़रमाया : मेरी उम्मत की अफ़्ज़ल इ़बादत "तिलावते क़ुरआन" है । (شعب الایمان للبیہقی، باب فی تعظیم القرآن، فصل فی ارمان تلاوتہ، دون اللفظ تلاوۃ ۲/۳۵۴،حدیث:۲۰۲۲)

٭ क़ुरआने पाक को अच्छी आवाज़ से और ठहर ठहर कर पढ़ना सुन्नत है । (इह़याउल उ़लूम, 1 / 843) ٭ मुस्तह़ब येह है कि बा वुज़ू क़िब्ले की जानिब रुख़ कर के अच्छे कपड़े पहन कर तिलावत करे । (बहारे शरीअ़त, जिल्द 1, ह़िस्सा 3, स. 550) ٭ तिलावत के शुरूअ़ में "اَعُوْذُ" पढ़ना मुस्तह़ब है और सूरत की इब्तिदा में "बिस्मिल्लाह" पढ़ना सुन्नत है, वरना मुस्तह़ब है । (सिरात़ुल जिनान, 1 / 21) ٭ क़ुरआने करीम देख कर पढ़ना, ज़बानी पढ़ने से अफ़्ज़ल है । (सिरात़ुल जिनान, 1 / 21) ٭ क़ुरआने पाक देख कर तिलावत करने पर दो हज़ार नेकियां लिखी जाती हैं और ज़बानी (या'नी बिगै़र देखे) पढ़ने पर एक हज़ार । (کنزالعمال،کتاب الاذکار،قسم الاقوال،الباب فی تلاوۃالقرآن الخ، رقم:۲۳۰۱، ۱/۲۶۰ملخصاً) ٭ क़ुरआने करीम की तिलावत के वक़्त रोना मुस्तह़ब है । (सिरात़ुल जिनान, 5 / 526) ٭ तीन दिन से कम में क़ुरआने करीम ख़त्म न करे बल्कि कम अज़