Tilawat-e-Quran Aur Musalman

Book Name:Tilawat-e-Quran Aur Musalman

है जिस में नफ़्ल का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और फ़र्ज़ का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है । इस मुबारक महीने की तशरीफ़ आवरी से फ़ाइदा उठाते हुवे आइये ! निय्यत कीजिये कि बिल ख़ुसूस इस मुक़द्दस महीने में कसरत के साथ तिलावते क़ुरआन की सआ़दत ह़ासिल करेंगी । रोज़ाना एक वक़्त मुक़र्रर कर लीजिये, मसलन इतने बजे से इतने बजे तक मैं इतनी तिलावते क़ुरआन की सआ़दत ह़ासिल करूंगी ।

          ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا ने तिलावते क़ुरआन की एक मिक़्दार मुक़र्रर की हुई थी, उस दौरान आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ किसी से बात चीत नहीं करते थे । बिलफ़र्ज़ क़ुरआने करीम पढ़ना नहीं आता, तो मद्रसतुल मदीना बालिग़ात में दाख़िला ले कर सीखने की कोशिश कीजिये । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मद्रसतुल मदीना बालिग़ात में बड़ी उ़म्र की इस्लामी बहनों को क़वाइ़द व मख़ारिज के साथ क़ुरआने पाक पढ़ना सिखाया जाता है । अगर पढ़ना जानती हैं, तो दूसरों को सिखाइये, येह बहुत बड़ी नेकी है, अगर हमारी थोड़ी सी कोशिश से कोई नमाज़ पढ़ने वाली बन गई, दुरुस्त क़ुरआने करीम पढ़ने वाली बन गई, तो अल्लाह पाक की रह़मत से उम्मीद है कि सवाब का बहुत बड़ा ख़ज़ाना जम्अ़ हो जाएगा । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

तिलावत का ज़ौक़ और बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن

          ऐ आ़शिक़ाने औलिया इस्लामी बहनो ! हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن सारी ज़िन्दगी नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के फ़रामीन पर अ़मल करते हुवे गुज़ारते हैं, येह ख़ुश नसीब ह़ज़रात फ़राइज़ व वाजिबात की अदाएगी के साथ साथ सुन्नतों और मुस्तह़ब्बात भी पाबन्दी से अदा करते हैं, शौक़ व मह़ब्बत से रातों को जाग कर अल्लाह पाक की इ़बादत करते और दिन को रोज़ा रखते हैं, येह नेक सीरत लोग न सिर्फ़ ख़ुद क़ुरआने पाक की तिलावत कसरत से करते हैं बल्कि मुसलमानों को भी क़ुरआने पाक की ता'लीम दिया करते हैं । आइये ! तरग़ीब के लिये बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के चन्द वाक़िआ़त सुनती हैं ताकि हमारा भी ज़ेहन (Mind) बने और हम भी उन नेक लोगों के नक़्शे क़दम पर चलते हुवे ज़ियादा से ज़ियादा तिलावते क़ुरआने करीम करने वाली और दूसरी इस्लामी बहनों को पढ़ाने वाली बन जाएं । चुनान्चे,

इ़बादतो रियाज़त देख कर क़बूले इस्लाम

          अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना अबू बक्र सिद्दीक़ رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने इब्तिदाए इस्लाम में अपने घर के सेह़न में एक मस्जिद बनाई थी, जहां आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ क़ुरआने पाक की तिलावत करते और नमाज़ पढ़ा करते थे, लोग आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के इस ईमान अफ़रोज़ मन्ज़र को देख कर आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के आस पास जम्अ़ हो जाते, आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की तिलावते क़ुरआन, इ़बादतो रियाज़त और ख़ौफे़ ख़ुदा में रोना लोगों को बहुत मुतअस्सिर करता था, आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के इस अ़मल के सबब कई लोग इस्लाम में दाख़िल हुवे । (الریاض النضرۃ، ۱/۹۲)