Namaz Ki Ahmiyat

Book Name:Namaz Ki Ahmiyat

अ़ज़ाबे इलाही से ख़ुद को डराने और नमाज़ों की आ़दत बनाने के लिये नमाज़ न पढ़ने की 4 वई़दें सुनते हैं । चुनान्चे,

1.      ह़ज़रते सय्यिदुना अबू दर्दा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने इरशाद फ़रमाया : मेरे ख़लील صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने मुझे वसिय्यत फ़रमाई : किसी को अल्लाह पाक का शरीक न ठहराना अगर्चे तुम्हारे टुक्ड़े टुक्ड़े कर दिये जाएं और तुम्हें जला दिया जाए, फ़र्ज़ नमाज़ जान बूझ कर न छोड़ना क्यूंकि जो जान बूझ कर नमाज़ छोड़ देता है उस से अमान उठा ली जाती है और शराब हरगिज़ न पीना क्यूंकि येह हर बुराई की जड़ है । (ابن ماجہ ،ابواب الاشربۃ ، با ب الخمر مفتا ح کل شر، الحدیث ۴۰۳۴، ص۲۷۲۰)

2.      इरशाद फ़रमाया : जिस ने नमाज़ छोड़ी, तो वोह अल्लाह पाक से इस ह़ाल में मिलेगा कि वोह उस पर ग़ज़ब फ़रमाएगा । ( مجمع الزوائد،کتاب الصلاۃ،باب فی تارک الصلاۃ،الحدیث:۱۶۳۲،ج ۲،ص ۲۶)

3.      इरशाद फ़रमाया : जिस ने नमाज़ छोड़ी, उस ने अपने अहलो इ़याल और माल को घटा दिया । (کنز العمال ،کتاب الصلاۃ ، التر ھیب عن ترک الصلاۃ ، الحدیث ۱۹۰۸۵ ، ج۷، ص ۱۳۲)

4.      इरशाद फ़रमाया : जिस ने जान बूझ कर नमाज़ छोड़ दी, तो बिला शुबा अल्लाह पाक का ज़िम्मा उस से बरी है । (معجم الکبیر،۱۲/ ۱۹۵،حدیث:۱۳۰۲۳)

ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : बे नमाज़ी, अल्लाह पाक की अमान में नहीं रहता । नमाज़ की बरकत से इन्सान दुन्या में आफ़तों से, मरते वक़्त बुरे ख़ातिमे से, क़ब्र (के इम्तिह़ान) में फे़ल होने से, ह़श्र में मुसीबतों से अल्लाह पाक के फ़ज़्ल से अमन में रहता है । (मिरआतुल मनाजीह़, 1 / 79, मुलख़्ख़सन)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! नमाज़ों के मुआ़मले में ग़ाफ़िल होना, अल्लाह पाक की नाराज़ी, दोज़ख़ की ह़क़दारी, घर वालों और माल में बे बरकती का सबब है । अल्लाह पाक हमें नमाज़ों की पाबन्दी करने का ह़ुक्म देते हुवे पारह 2, सूरतुल बक़रह की आयत नम्बर 238 में इरशाद फ़रमाता है :

حٰفِظُوْا عَلَى الصَّلَوٰتِ وَ الصَّلٰوةِ الْوُسْطٰىۗ-وَ قُوْمُوْا لِلّٰهِ قٰنِتِیْنَ(۲۳۸)2، البقرۃ، 238)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : तमाम नमाज़ों की पाबन्दी करो और ख़ुसूसन दरमियानी नमाज़ की और अल्लाह के ह़ुज़ूर अदब से खड़े हुवा करो ।

          नमाज़ की अहम्मिय्यत का अन्दाज़ा इस बात से भी होता है कि अल्लाह पाक के प्यारे नबी, ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम عَلَیْہِ السَّلَام ने अपने और अपनी औलाद के लिये नमाज़ क़ाइम रखने की दुआ़ भी फ़रमाई, जिस का तज़किरा पारह 13, सूरए इब्राहीम की आयत नम्बर 40 में यूं है :

رَبِّ اجْعَلْنِیْ مُقِیْمَ الصَّلٰوةِ وَ مِنْ ذُرِّیَّتِیْ ﳓ رَبَّنَا وَ تَقَبَّلْ دُعَآءِ(۴۰)13، الابراہیم، 40)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ मेरे रब ! मुझे और कुछ मेरी औलाद को नमाज़ क़ाइम करने वाला रख, ऐ हमारे रब ! और मेरी दुआ़ क़बूल फ़रमा ।