Book Name:Duniya Ki Mohabbat Ki Muzammat
सोना, जागना बल्कि जीना, मरना भी दीन है कि ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सुन्नत है । मुसलमान इस लिये खाए, पिये, सोए, जागे कि येह ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सुन्नतें हैं । "ह़यातुद्दुन्या" और चीज़ है, "ह़यातुन फ़िद्दुन्या" और "ह़यातुल्लिद्दुन्या" कुछ और, या'नी दुन्यी की ज़िन्दगी, दुन्या में ज़िन्दगी, दुन्या के लिये ज़िन्दगी । जो ज़िन्दगी दुन्या में हो मगर आख़िरत के लिये हो, दुन्या के लिये न हो, वोह मुबारक है । (मिरआतुल मनाजीह़, 7 / 3)
﴾8﴿...भेड़ का मरा हुवा बच्चा
ह़ज़रते सय्यिदुना जाबिर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है : रह़मते आ़लम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ भेड़ के मुर्दा बच्चे के पास से गुज़रे । इरशाद फ़रमाया : तुम में से कोई येह पसन्द करेगा कि येह उसे एक दिरहम के इ़वज़ (या'नी बदले) मिले ? उन्हों ने अ़र्ज़ की : हम नहीं चाहते कि येह हमें किसी भी चीज़ के इ़वज़ (या'नी बदले) मिले । तो इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक की क़सम ! दुन्या अल्लाह पाक के हां इस से भी ज़ियादा ज़लील है जैसे येह तुम्हारे नज़दीक ।
(مِشْکَاۃُ الْمَصَابِیح،۲/۲۴۲،حدیث:۵۱۵۷ )
ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : या'नी बकरी का मुर्दार बच्चा कोई चार आने में भी नहीं ख़रीदता कि उस की खाल बेकार और गोश्त वग़ैरा ह़राम है, उसे कौन ख़रीदे ? दुन्या के मा'ना अभी अ़र्ज़ कर दिये गए, वोह याद रखे जावें । सूफ़ियाए किराम (رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن) फ़रमाते हैं : दुन्या दार को तमाम जहान के मुर्शिद (या'नी हिदायत देने वाले) हिदायत नहीं दे सकते, तारिकुद्दुन्या (या'नी दुन्या को छोड़ने वाले) दीनदार को सारे शयात़ीन मिल कर गुमराह नहीं कर सकते । दुन्या दार दीनी काम भी करता है तो दुन्या के लिये और दीनदार दुन्यावी काम भी करता है तो दीन के लिये । (मिरआतुल मनाजीह़, 7 / 3)