Duniya Ki Mohabbat Ki Muzammat

Book Name:Duniya Ki Mohabbat Ki Muzammat

फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ :  نِیَّۃُ الْمُؤمِنِ خَیْرٌ مِّنْ عَمَلِہٖमुसलमान की निय्यत उस के अ़मल से बेहतर है । (معجم کبیر،۶/۱۸۵،حدیث:۵۹۴۲)

मदनी फूल : नेक और जाइज़ काम में जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा ।

बयान सुनने की निय्यतें

        ٭ निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगा । ٭ टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ता'ज़ीम के लिये जहां तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगा । ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ  صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ، वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वालों की दिलजूई के लिये बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा । ٭ बयान के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

दुन्या को दुन्या क्यूं कहते हैं ?

          शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपनी किताब "नेकी की दा'वत" के सफ़ह़ा नम्बर 260 पर नक़्ल फ़रमाते हैं : दुन्या का लुग़्वी मा'ना (Meaning) है "क़रीब" और दुन्या को दुन्या इस लिये कहते हैं कि येह आख़िरत के मुक़ाबले में इन्सान के ज़ियादा क़रीब है या इस वज्ह से कि येह अपनी ख़्वाहिशात व लज़्ज़ात के सबब दिल के ज़ियादा क़रीब है । (حدیقہ ندیۃ،۱ /۱۷)

दुन्या क्या है ?

          ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ल्लामा बदरुद्दीन ऐ़नी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : आख़िरत के घर से पहले तमाम मख़्लूक़ दुन्या है । (عُمدۃُ القاری،۱/۵۲) लिहाज़ा इस ए'तिबार से सोना, चांदी और इन से ख़रीदी जाने वाली तमाम ज़रूरी व ग़ैर ज़रूरी चीज़ें दुन्या में दाख़िल हैं । (حدیقہ ندیۃ،۱ /۱۷)