Duniya Ki Mohabbat Ki Muzammat

Book Name:Duniya Ki Mohabbat Ki Muzammat

को ऐसी दा'वत दें जैसे खाने वाले अपने प्याले की त़रफ़ । तो कोई कहने वाला बोला : क्या उस दिन हमारी कमी की वज्ह से ऐसा होगा ? फ़रमाया : बल्कि तुम उस दिन बहुत ज़ियादा होगे लेकिन तुम सैलाब के मैल की त़रह़ एक सील बन जाओगे (तुम सैलाब के पानी पर तिन्कों की त़रह़ बह जाओगे, या'नी तुम्हारे अन्दर जुरअत व शुजाअ़त और क़ुव्वत ख़त्म हो जाएगी) और अल्लाह पाक तुम्हारे दुश्मन के दिलों से तुम्हारी हैबत (या'नी डर) निकाल देगा और तुम्हारे दिल में सुस्ती और कमज़ोरी डाल देगा । किसी कहने वाले ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! "वहन" क्या चीज़ है ? फ़रमाया : दुन्या की मह़ब्बत और मौत से डर । (ابو داود،۴/۱۵۰،حدیث:۴۲۹۷)

6﴿...दुन्या की मह़ब्बत, गुनाहों का सर है

          ह़ज़रते सय्यिदुना ह़ुज़ैफ़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ रिवायत करते हैं : मैं ने सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को अपने ख़ुत़्बे में फ़रमाते सुना : दुन्या की मह़ब्बत तमाम गुनाहों का सर है । (مِشْکَاۃُ الْمَصَابِیح،۲/۲۵۰،حدیث:۵۲۱۲ )

7﴿...आख़िरत के मुक़ाबले में दुन्या की ह़ैसिय्यत

          ह़ज़रते सय्यिदुना मुस्तवरिद बिन शद्दाद رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से मरवी है : अल्लाह पाक के मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक की क़सम ! आख़िरत के मुक़ाबले में दुन्या इतनी सी है जैसे कोई अपनी इस उंगली को समुन्दर में डाले, तो वोह देखे कि इस उंगली पर कितना पानी आया ।

(مُسلِم،ص۱۵۲۹،حدیث:۲۸۵۸)

          ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : येह भी फ़क़त़ समझाने के लिये है । ख़याल रहे ! दुन्या वोह है जो अल्लाह पाक से ग़ाफ़िल कर दे, आ़क़िल (या'नी अ़क़्लमन्द और) आ़रिफ़ (या'नी रब्बे करीम की पहचान रखने वाले) की दुन्या तो आख़िरत की खेती है, उस की दुन्या बहुत ही अ़ज़ीम है, ग़ाफ़िल की नमाज़ भी दुन्या है, जो वोह नाम नुमूद (या'नी दिखलावे) के लिये अदा करता है, आ़क़िल (या'नी अ़क़्लमन्द) का खाना, पीना,