Duniya Ki Mohabbat Ki Muzammat

Book Name:Duniya Ki Mohabbat Ki Muzammat

के मुत़ाबिक़ है कि सुवार जब किसी जगह उतरना चाहता है, तो अपना चाबुक फेंक देता है ताकि उस की निशानी रहे और दूसरा कोई शख़्स वहां न उतरे । (اشعہ اللمعات،۴ /۴۳۳)

          ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : कोड़े (या'नी चाबुक) से मुराद है वहां की थोड़ी सी जगह । वाके़ई़ जन्नत की ने'मतें दाइमी हैं, दुन्या की फ़ानी, फिर दुन्या की ने'मतें तकालीफ़ से मख़्लूत़ (या'नी मिली हुईं) (और) वहां की ने'मतें ख़ालिस, फिर दुन्या की ने'मतें (जब कि) अदना, वोह आ'ला, इस लिये दुन्या को वहां की अदना जगह से कोई निस्बत ही नहीं । (मिरआतुल मनाजीह़, 7 / 447)

3﴿...दुन्या के लिये माल जम्अ़ करने वाले बे अ़क़्ल हैं

        उम्मुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदतुना आ़इशा सिद्दीक़ा, त़य्यिबा, त़ाहिरा, आ़बिदा, ज़ाहिदा, अ़फ़ीफ़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا से रिवायत है : नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने इ़ब्रत निशान है : दुन्या उस का घर है जिस का कोई घर न हो और उस का माल है जिस का कोई माल न हो और इस के लिये वोह जम्अ़ करता है जिस में अ़क़्ल न हो । (مِشْکَاۃُ الْمَصَابِیح ۲/۲۵۰،حدیث:۵۲۱۱)

4﴿...दुन्या में मुसाफ़िर बन कर रहो

          ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا से रिवायत है : ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने मेरे कन्धे पकड़ कर इरशाद फ़रमाया : दुन्या में एक अजनबी और मुसाफ़िर बन कर रहो । ह़ज़रते सय्यिदुना इबने उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا फ़रमाते हैं : जब तू शाम करे, तो आने वाली सुब्ह़ का इन्तिज़ार मत कर और जब सुब्ह़ करे, तो शाम का इन्तिज़ार न कर, ह़ालते सिह़्ह़त में बीमारी के लिये और ज़िन्दगी में मौत के लिये तय्यारी कर ले । (بُخارِی،۴/ ۲۲۳،حدیث:۶۴۱۶)

5﴿...दुश्मनों का रो'ब जाता रहेगा

          ह़ज़रते सय्यिदुना सौबान رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है : मदीने के सुल्त़ान صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : क़रीब है कि उम्मतें तुम पर एक दूसरे