Book Name:Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan
नहीं रहती मगर साथ ही साथ उन का इम्तिह़ान भी शुरूअ़ हो जाता है । अब येह वालिदैन पर है कि वोह औलाद की मदनी तरबिय्यत कर के इस इम्तिह़ान में कामयाब होते हैं या नहीं ।
याद रखिये ! उ़मूमन बच्चे वालिदैन की आ़दात की पैरवी करते हैं, अगर वालिदैन शरीअ़त के पाबन्द और इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने के शौक़ीन हों, तो उन की नस्लें भी नेकियों के रास्ते पर चलती हैं और वालिदैन की नजात व बख़्शिश और नेक नामी का सबब बनती हैं और अगर वालिदैन ख़ुद बुरी आ़दतों के शिकार हों, तो औलाद में भी वोही बुराइयां मुन्तक़िल हो जाती हैं और ऐसी औलाद सबबे नजात नहीं बल्कि सबबे हलाकत बन जाती है ।
याद रखिये ! औलाद की दुरुस्त तरबिय्यत करना मां-बाप दोनों ही की ज़िम्मेदारी है मगर बाप कमाने का बहाना बना कर तरबिय्यते औलाद की ज़िम्मेदारी बच्चों की मां पर डाल कर ख़ुद को इस ज़िम्मेदारी से बचाने की कोशिश करता है जब कि बच्चों की मां घर के काम काज का उ़ज़्र पेश कर के तरबिय्यते औलाद का अस्ल ज़िम्मेदार अपने शौहर को क़रार देती है फिर होता येह है कि ऐसी औलाद हाथों से निकल कर घर वालों के लिये बाइ़से ज़ह़्मत बन जाती है । लिहाज़ा वालिदैन को चाहिये कि वोह अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुवे औलाद को बचपन ही से नेक और मुआ़शरे का बा किरदार फ़र्द बनाने में अपना किरदार अदा करें क्यूंकि बचपन में जो चीज़ सीखी जाती है, उस के असरात मज़बूत़ होते हैं । जैसा कि : ह़दीसे पाक में है : اَلْعِلْمُ في صِغَرِهِ كالنَّقْشِ عَلَى الحَجَر बचपन में इ़ल्म ह़ासिल करना पथ्थर पर नक़्श की त़रह़ (पुख़्ता) होता है ।
आइये ! तरबिय्यते औलाद के बारे में मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के महके महके 4 फ़रामीन सुनिये ।
रसूले अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने (जब) येह आयते मुबारका तिलावत फ़रमाई : قُوْۤا اَنْفُسَكُمْ وَ اَهْلِیْكُمْ نَارًا(پ۲۸ التحرِیم:۶) तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : अपनी जानों और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ । तो सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! हम अपने घर