Book Name:Tazeem-e-Mustafa Ma Jashne Milad Ki Barakaten
जारी नहीं बल्कि जिन्नो इन्स (या'नी जिन्नात, इन्सान) व फ़िरिश्ते सब पर जारी (होते) हैं । फ़िरिश्ते भी इजाज़त ले कर दौलत ख़ाने में ह़ाज़िरी देते थे फिर येह आदाब हमेशा के लिये हैं । (नूरुल इ़रफ़ान : 823)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! याद रखिये ! तमाम ही अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام एह़तिराम और ता'ज़ीम के लाइक़ हैं । क़ुरआने करीम में अल्लाह पाक ने मुख़्तलिफ़ मक़ामात पर अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام की ता'ज़ीम का हु़क्म इरशाद फ़रमाया और उस हु़क्म की बजा आवरी करने वालों को इनआ़मो इकराम से नवाज़ने का वा'दा भी फ़रमाया है । चुनान्चे, पारह 6, सूरतुल माइदह की आयत नम्बर 12 में इरशाद होता है :
وَ اٰمَنْتُمْ بِرُسُلِیْ وَ عَزَّرْتُمُوْهُمْ وَ اَقْرَضْتُمُ اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا لَّاُكَفِّرَنَّ عَنْكُمْ سَیِّاٰتِكُمْ وَ لَاُدْخِلَنَّكُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُۚ (پ 6، المائدۃ : 12)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और मेरे रसूलों पर ईमान लाओ और उन की ता'ज़ीम करो और अल्लाह को क़र्जे़ ह़सन दो, तो बेशक मैं तुम से तुम्हारे गुनाह मिटा दूंगा और ज़रूर तुम्हें उन बाग़ों में दाख़िल करूंगा जिन के नीचे नहरें जारी हैं ।
बिल ख़ुसूस हु़ज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर ईमान लाने के बा'द आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ता'ज़ीम करने वालों को काम्याबी की ख़ुश ख़बरी अ़त़ा फ़रमाई है । चुनान्चे, पारह 9, सूरतुल आ'राफ़ की आयत नम्बर 157 में इरशाद होता है :
فَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا بِهٖ وَ عَزَّرُوْهُ وَ نَصَرُوْهُ وَ اتَّبَعُوا النُّوْرَ الَّذِیْۤ اُنْزِلَ مَعَهٗۤۙ-اُولٰٓىٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ۠(۱۵۷) (پ 9، الاعراف، 157)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : तो वोह लोग जो उस नबी पर ईमान लाएं और उस की ता'ज़ीम करें और उस की मदद करें और उस नूर की पैरवी करें जो उस के साथ नाज़िल किया गया, तो वोही लोग फ़लाह़ पाने वाले हैं ।
याद रखिये ! येह इनआ़मात उसी वक़्त ह़ासिल होंगे जब हम हर मुआ़मले में तमाम अम्बिया عَلَیْہِمُ السَّلَام ख़ुसूसन सय्यिदुल अम्बिया, मुह़म्मदे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ता'ज़ीमो तौक़ीर को अपने ईमान का ह़िस्सा समझेंगी और इन की मा'मूली तौहीन से भी बचने की कोशिश करेंगी । अल्लाह पाक ने आदाबे नबवी सिखाते हुवे जहां बारगाहे रिसालत में आवाज़ बुलन्द करने से मन्अ़ फ़रमाया, वहीं आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को आ़म अन्दाज़ में पुकारने की भी मुमानअ़त फ़रमाई है । चुनान्चे, पारह 18, सूरतुन्नूर की आयत नम्बर 63 में इरशाद होता है :
لَا تَجْعَلُوْا دُعَآءَ الرَّسُوْلِ بَیْنَكُمْ كَدُعَآءِ بَعْضِكُمْ بَعْضًاؕ (پارہ:۱۸، النور:۶۳)