Buri Sohbat Ka Wabal

Book Name:Buri Sohbat Ka Wabal

त़बीअ़त (Nature) में "अख़्ज़" यानी ले लेने की ख़ासिय्यत है । ह़रीस (लालची) की सोह़बत से ह़िर्स (लालच), ज़ाहिद (दुन्या से बे रग़बती इख़्तियार करने वाले) की सोह़बत से ज़ोह्दो तक़्वा मिलेगा । (मिरआतुल मनाजीह़, 6 / 599)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमें चाहिए कि दोस्ती के मुआ़मले में हर किसी पर अन्धा एतिमाद न करें और न ही ऐसों की सोह़बत में बैठें जिन का दामन पेहले ही मुख़्तलिफ़ क़िस्म की बुराइयों से दाग़दार हो क्यूंकि त़रह़ त़रह़ की बुराइयों में मुब्तला रेहने वाले लोगों पर जब बुरा वक़्त आता है, तो उन से तअ़ल्लुक़ात रखने वाले भी बसा अवक़ात उस की लपेट में आ जाते हैं । आइए ! इस बात को समझने के लिए एक ह़िकायत सुनते हैं । चुनान्चे,

चूहे और मेंडक की दोस्ती

          अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ "नेकी की दावत" के सफ़ह़ा नम्बर 381 पर लिखते हैं : आ़रिफ़ बिल्लाह, ह़ज़रते मौलाना रूम رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ बुरी सोह़बत का नुक़्सान समझाते हुवे फ़रमाते हैं : इत्तिफ़ाक़न एक नदी के किनारे पर एक चूहे की मेंडक से मुलाक़ात हो गई और दोनों में दोस्ती हो गई । चूहे ने कहा : कभी मिलने को दिल चाहे, तो आप पानी की गेहराई (Depth) में होते हैं, जहां आवाज़ भी नहीं पहुंच सकती, तो फिर आप को इत़्त़िलाअ़ किस त़रह़ हो ? आख़िर त़ै येह पाया कि एक तागा (धागा) चूहे के पाउं में और इस का दूसरा सिरा मेंडक के पाउं में बांध दिया जाए, वक़्ते ज़रूरत इत़्त़िलाअ़ की तरकीब हो जाएगी । चुनान्चे, ऐसा ही किया गया । एक दिन अचानक कव्वे ने चूहे पर झपटा मारा और उस को मुंह में ले कर उड़ा, तो मेंडक भी धागे में बंधा होने के सबब उस के साथ खींचा खींचा हवा में चला जा रहा था । मेंडक ने कहा : येह चूहे जैसे ना जिन्स (यानी ना लाइक़) से दोस्ती की सज़ा है । मालूम हुवा ! ना जिन्सों (ना लाइक़ों) और बुरी बुरी सोह़बतों के सबब बहुत आफ़ात पहुंचती हैं ।

बद मज़हबों की सोह़बत ज़हरे क़ातिल है

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! मालूम हुवा ! बे वुक़ूफ़ लोगों की सोह़बत कहीं का नहीं छोड़ती बल्कि बसा अवक़ात इन की नुह़ूसत "हम तो डूबे हैं सनम, तुम को भी ले डूबेंगे" के मिस्दाक़ दूसरों को भी बरबादी के गेहरे गढ़े में धकेल देती है । याद रहे ! जिस त़रह़ शराबियों, जुवारियों और गुनाहों में मुलव्वस रेहने वालों के साथ उठना, बैठना बाइ़से हलाकत है, इसी त़रह़ बद मज़हबों से मेल जोल रखना, उन की तक़ारीर सुनना, किताबें पढ़ना, उन की ऑडियो (Audio) सुनना, वीडियो (Video) देखना या किसी दूसरे को शेयर (Share) करना, उन के साथ खाना, पीना या रिश्तेदारी क़ाइम कर लेना भी ईमान के लिए ज़हरे क़ातिल और दुन्या व आख़िरत की शदीद तबाही व बरबादी का सबब है ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد