Book Name:Buri Sohbat Ka Wabal
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! जिस त़रह़ दीने इस्लाम ने अपने मानने वालों को नर्मी, ह़ुस्ने अख़्लाक़, अ़फ़्वो दरगुज़र, आ़जिज़ी व इन्केसारी, चलने फिरने और उठने बैठने की तालीमात सिखाई हैं, वहीं मुआ़शरे में कैसे रेहना है ? किन लोगों के साथ उठना बैठना है ? किन की सोह़बत इख़्तियार करनी है ? वग़ैरा तालीमात भी सिखाई हैं । मसलन दीने इस्लाम ने हमें येह तालीम दी है कि तुम्हारा रहन सहन और दोस्ती ऐसे लोगों के साथ होनी चाहिए जिन को देख कर अल्लाह करीम की याद आ जाए, जिन की बातें तुम्हारे आमाल में फ़िक्रे आख़िरत पैदा करें । आइए ! आज हम अच्छी सोह़बत की बरकात और बुरी सोह़बत के वबाल के मुतअ़ल्लिक़ बयान सुनते हैं । चुनान्चे,
अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ "नेकी की दावत" के सफ़ह़ा नम्बर 290 पर लिखते हैं : पंजाब के एक मह़ल्ले में एक अ़जीबो ग़रीब बदबू (Bad Smell) मह़सूस होने लगी, अ़लाके़ वालों की ख़ूब जुस्तजू के बाद कहीं जा कर बदबू का सुराग़ मिला, वोह बदबू एक बन्द घर से आ रही थी । चुनान्चे, पोलीस को इत़्त़िलाअ़ दी गई । जब पोलीस वाले, लोगों की मौजूदगी में ताला तोड़ कर घर के अन्दर दाख़िल हुवे, तो येह देख कर सब के रोंगटे खड़े हो गए कि वहां चारपाई पर एक जवान आदमी की लाश पड़ी थी, उस के बाज़ ह़िस्से गल, सड़ चुके थे और उन में कीड़े रेंग रहे थे । येह मन्ज़र देख कर बच्चों समेत कई अफ़राद बेहोश हो गए । तह़क़ीक़ करने पर पता चला कि येह नौजवान मेह़नत मज़दूरी करने के लिए इस अ़लाके़ में आया था, किराए के मकान में रिहाइश पज़ीर था और बाज़ जुवारियों से इस की दोस्ती थी । एक दिन येह नौजवान अपने दोस्तों से जुवे में बहुत सारी रक़म जीत गया, हारे हुवे जुवारी दोस्तों ने हारी हुई रक़म लूटने के लिए इस के गले में फन्दा कसा और बिजली के करन्ट लगा लगा कर मौत के घाट उतार दिया फिर इसे बे गोरो कफ़न छोड़ कर, ताला लगा कर फ़रार हो गए । (नेकी की दावत, स. 290)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि बुरी सोह़बत (Company) में उठना, बैठना किस क़दर हलाकत व बरबादी का सबब और बुरी सोह़बत में रेहने वाले नादानों का किस क़दर भयानक अन्जाम होता है । बिला शुबा बुरी सोह़बत इन्सान को कहीं का नहीं छोड़ती, बुरे लोगों की सोह़बत में बैठना गोया अपने लिए आफ़तों, बलाओं और मुसीबतों के दरवाज़े खोल देता है । बसा अवक़ात येही बुरे दोस्त अपने फ़ाएदे की ख़ात़िर अपने ही साथियों के जानी दुश्मन बन कर उन से जीने का ह़क़ छीन लेते हैं और इन्तिहाई अज़िय्यत के साथ मौत के घाट उतार देते हैं, यूं बुरे दोस्तों की सोह़बत में रेहने वाले मुआ़शरे में निशाने इ़ब्रत बन जाते हैं । अभी हम ने जुवारियों की सोह़बत में रेहने वाले शख़्स की इ़ब्रतनाक मौत की ह़िकायत सुनी । हमें चाहिए कि बुरे दोस्तों, बिल ख़ुसूस जुवारियों की सोह़बते बद से दूर रहें कि जुवे की आफ़त में मुब्तला अफ़राद अपनी मेह़नत से कमाई हुई सारी जम्अ़ पून्जी लुटाने के साथ साथ कसीर नुक़्सानात का सामना करते हैं । जैसा कि :