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Book Name:Khof e Khuda Main Rone Ki Ahamiyat

मनाया जाता है, इस मौक़अ़ पर सवाब पहुंचाने के लिए इजतिमाआ़त का एहतिमाम किया जाता है, जिन में क़ुरआन ख़्वानी, नात ख़्वानी, सुन्नतों भरे बयानात, तक़्सीमे रसाइल वग़ैरा का एहतिमाम होता है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के आ़लमी मदनी मर्कज़, फै़ज़ाने मदीना में बिल ख़ुसूस रजबुल मुरज्जब के शुरूअ़ के 6 दिनों में तो मदनी मुज़ाकरों की ख़ूब बहारें होती हैं, कई शहरों से आ़शिक़ाने ग़रीब नवाज़ इ़ल्मे दीन सीखने, फै़ज़ाने मदनी मुज़ाकरा लूटने और अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की सोह़बत की बरकतें ह़ासिल करने के लिए आ़लमी मदनी मर्कज़, फै़ज़ाने मदीना में वक़्त गुज़ारने की सआ़दत ह़ासिल करते हैं, इन के इ़लावा मुल्क व बैरूने मुल्क हज़ारों आ़शिक़ाने ग़रीब नवाज़ अपने अपने शहरों में इजतिमाई़ त़ौर पर इन मदनी मुज़ाकरों में शिर्कत की सआ़दत ह़ासिल करतें हैं, अभी भी येह मदनी मुज़ाकरे जारी हैं, आप भी मदनी चेनल के ज़रीए़ इन मदनी मुज़ाकरों में शिर्कत की ज़रूर सआ़दत ह़ासिल करें ।

          ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! आइए ! ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का मुख़्तसरन ज़िक्रे ख़ैर सुनते हैं । ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का नाम "ह़सन" है, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के मश्हूर अल्क़ाबात में "मुई़नुद्दीन", "ग़रीब नवाज़", "सुल्त़ानुल हिन्द" और "अ़त़ाए रसूल" शामिल हैं । (मुई़नुल हिन्द ह़ज़रते ख़्वाजा मुई़नुद्दीन अजमेरी, स. 20, मुलख़्ख़सन) ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने अपने अख़्लाक़ व किरदार से इस्लाम का बोल बाला फ़रमाया, लाखों लोगों को आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने अपनी निगाहे विलायत से फै़ज़ बख़्शा, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने अपने ख़ुलफ़ा और शागिर्दों की ऐसी जमाअ़त तय्यार की जिस ने पाको हिन्द के कोने कोने में दीन का पैग़ाम फैलाया । अल्लाह पाक ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की ख़िदमते दीन के सदके़ हमें भी नेकी की दावत आ़म करने का जज़्बा नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

मजलिसे लंगरे रज़विय्या

          ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी का मदनी माह़ोल जहां ख़ौफे़ ख़ुदा का पैकर बनाता है, वहीं औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की सच्ची मह़ब्बत भी देता है, हम भी इसी मदनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता रहें । आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी नेकी की दावत को आ़म करने के लिए 108 से ज़ाइद शोबाजात में मदनी काम कर रही है, इन्ही में से एक "मजलिसे लंगरे रज़विय्या" भी है । मुख़्तलिफ़ मवाके़अ़ पर हज़ारों आ़शिक़ाने रसूल को खाना खिलाया जाता है, मसलन दारुस्सुन्नह में आने वाले मेहमानों, मुख़्तलिफ़ सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त, इजलासों, मुख़्तलिफ़ मदनी कोर्सिज़ में शिर्कत करने वाले आ़शिक़ाने रसूल, दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल में मुल्क व बैरूने मुल्क हर साल हज़ारों आ़शिक़ाने रसूल पूरे माहे रमज़ान और आख़िरी अ़शरे के एतिकाफ़ की सआ़दत ह़ासिल करते हैं, इन आ़शिक़ाने रसूल के लिए लंगरे रज़विय्या (सह़री व इफ़्त़ारी) का बहुत बड़ा इन्तिज़ाम किया जाता



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