Lalach Ka Anjaam

Book Name:Lalach Ka Anjaam

इबने आदम के पास सोने की एक वादी हो, तो चाहेगा कि उस के पास दो वादियां हों और उस के मुंह को मिट्टी के इ़लावा कोई चीज़ नहीं भर सकती और जो अल्लाह पाक की बारगाह में तौबा करे, तो अल्लाह करीम उस की तौबा क़बूल फ़रमाता है । (مسلم،کتاب الزکاۃ، باب لو أن لابن آدم… الخ ، ص۴۰۴، حدیث: ۱۰۴۹)

        प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि नबिय्ये पाक, साह़िबे लौलाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने किस क़दर बेहतरीन अन्दाज़ में लालच के बारे में हमारी रहनुमाई फ़रमाई कि इन्सान का लालच कभी पूरा नहीं होता, अगर उसे सोने से भरी वादियां भी मिल जाएं तब भी मज़ीद की ख़्वाहिश करता है और हरगिज़ वोह येह नहीं समझता कि बस अब मुझे मालो दौलत की ज़रूरत नहीं । बहर ह़ाल हमें चाहिये कि हम माल से दिल लगाने के बजाए उसे अच्छी  जगहों पर ख़र्च कर के अपने लिये नजात का सामान करें । हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن माल की ह़क़ीक़त से अच्छी त़रह़ आगाह थे, येही वज्ह है कि येह ह़ज़रात सारी ज़िन्दगी माल की मज़म्मत और उस की तबाहकारियों को बयान फ़रमाते रहे । आइये ! इ़ब्रत के लिये बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के चन्द अक़्वाल सुनिये और माल की मह़ब्बत को हमेशा के लिये अपने दिलो दिमाग़ से निकाल दीजिये । चुनान्चे,

माल की मज़म्मत के बारे में अक़्वाले बुज़ुर्गाने दीन

          ٭ ह़ुज्जतुल इस्लाम, ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ तह़रीर फ़रमाते हैं : ह़ज़रते सय्यिदुना ह़सन बसरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक की क़सम ! जो दिरहम (या'नी दौलत) की इ़ज़्ज़त करता है, अल्लाह पाक उसे ज़िल्लत देता है । ٭ मन्क़ूल है : सब से पहले दिरहमो दीनार बने, तो शैत़ान ने उन को उठा कर अपने माथे पर रखा फिर  उन को चूमा और बोला : जिस ने इन से मह़ब्बत की, वोह मेरा ग़ुलाम है । ٭ ह़ज़रते सय्यिदुना सुमैत़ बिन अ़ज्लान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने फ़रमाया : दिरहमो दीनार (या'नी मालो दौलत) मुनाफ़िक़ों की लगामें हैं, वोह इन के ज़रीए़ दोज़ख़ की त़रफ़ खींचे जाएंगे । ٭ ह़ज़रते सय्यिदुना यह़्या बिन मुआ़ज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : दिरहम बिच्छू हैं, अगर तुम इस के ज़हर का उतार नहीं जानते, तो इसे मत पकड़ो क्यूंकि अगर इस ने डस लिया, तो इस का ज़हर तुम्हें हलाक कर देगा । अ़र्ज़ की : इस का उतार (या'नी इ़लाज) क्या है ? फ़रमाया : ह़लाल त़रीके़ से ह़ासिल करना और इस के ह़ुक़ूके़ वाजिबा (ज़कात वग़ैरा) अदा करना । ٭ ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ला बिन ज़ियाद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : दुन्या ख़ूब बनाव सिंघार कर के मेरे सामने मिसाली सूरत में आई । मैं ने कहा : मैं तेरी बुराई से अल्लाह करीम की पनाह चाहता हूं । वोह बोली : अगर आप मुझ से मह़फ़ूज़ (Safe) रहना चाहते हैं, तो दिरहमो दीनार (या'नी मालो दौलत) से नफ़रत कीजिये क्यूंकि दिरहमो दीनार वोह चीज़ें हैं जिन के ज़रीए़ आदमी हर क़िस्म की दुन्या ह़ासिल करता है, लिहाज़ा जो इन दोनों से सब्र करेगा या'नी दूर रहेगा, वोह दुन्या से भी सब्र कर लेगा । ٭ सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अ़रबी अश्आ़र नक़्ल किये हैं जिन का तर्जमा कुछ यूं है : मैं ने तो (येह राज़) पा लिया है, लिहाज़ा तुम भी इस के इ़लावा कुछ और गुमान मत करो