Book Name:Lalach Ka Anjaam
और येह न समझो कि तक़्वा इस दिरहम (या'नी मालो दौलत) के पास है, तो जब तुम इस (मालो दौलत) पर क़ुदरत रखने के बा वुजूद इसे छोड़ दो, तो जान लो कि तुम्हारा तक़्वा एक मुसलमान का तक़्वा है । (احیا ءالعلوم،کتاب ذم البخل…الخ،۳/۲۸۸)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि माल की मह़ब्बत कैसी मन्ह़ूस आफ़त है मगर अफ़्सोस ! आज हमारा मुआ़शरा माल की मह़ब्बत के फन्दे में बुरी त़रह़ फंस चुका है, जिसे देखो उस पर मालो दौलत जम्अ़ करने और बैंक बेलन्स बढ़ाने का जुनून सुवार है, "पैसा हो, चाहे जैसा हो" जैसी बुरी सोच ने ह़लाल व ह़राम की तमीज़ ही ख़त्म कर के रख दी है, इतना जम्अ़ कर लिया कि सातों नस्लें खाएं जब भी ख़त्म न हो मगर माल जम्अ़ करने का नशा है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा । कसीर जाएदादें (Properties) हैं, डेकोरेशन से आरास्ता आ़लीशान मकानात ता'मीर किये हुवे हैं, बेहतरीन मल्बूसात से अल्मारियां भरी पड़ी हैं मगर लालच कम होने के बजाए मज़ीद बढ़ता ही चला जा रहा है । बेहतरीन ज़िन्दगी गुज़ारने के बा वुजूद भी कुछ इस त़रह़ की ख़्वाहिशात दिल में मचलती रहती हैं कि ऐ काश ! मैं भी मालदार होती, ऐ काश ! मेरा भी आ़लीशान बंगला होता, ऐ काश ! मैं भी फ़ुलां कि त़रह़ मुख़्तलिफ़ मुल्कों और शहरों की सैरो तफ़रीह़ पर क़ुदरत पाती, ऐ काश ! मैं भी आ़लीशान ज़िन्दगी गुज़ारती वग़ैरा वग़ैरा ।
हम ग़ौर करें ! कभी नेक इस्लामी बहनों को देख कर भी क्या हमारे दिल में सुन्नतों पर अ़मल और नेकियां करने का लालच पैदा हुवा ? ख़ौफे़ ख़ुदा व इ़श्के़ मुस्त़फ़ा वाली इस्लामी बहनों को देख कर क्या हम ने भी उन जैसा बनने की तमन्ना की ? मक्का व मदीना जाने वालों को देख कर क्या हमारे अन्दर भी ज़ियारते ह़-रमैने शरीफै़न के लिये बे क़रारी पैदा हुई ? किसी इस्लामी बहन को फ़र्ज़ नमाज़ों, तहज्जुद, इशराक़ व चाश्त, अव्वाबीन और सलातुत्तौबा में मश्ग़ूल देख कर क्या हमारे अन्दर भी इन नमाज़ों के एहतिमाम का जज़्बा बेदार हुवा ? किसी इस्लामी बहन को तिलावते क़ुरआन में मश्ग़ूल देख कर क्या हमारे दिल में भी तिलावते क़ुरआन का लालच पैदा हुवा ? इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने वालियों को देख कर क्या हमारे अन्दर भी क़ुरआन पढ़ने और इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने की तड़प पैदा हुई ? मदनी इनआ़मात पर अ़मल करने वालियों को देख कर क्या हमारे दिल में भी मदनी इनआ़मात पर अ़मल करने का जज़्बा पैदा हुवा ? 8 मदनी काम करने, सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त में शिर्कत करने वाली इस्लामी बहनों को देख कर क्या हमारे अन्दर भी इन मदनी कामों को करने का लालच पैदा हुवा ?
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! हम में से बा'ज़ वोह ख़ुश नसीब भी होंगी जो मुख़्तलिफ़ तन्ज़ीमी ज़िम्मेदारियों पर ख़िदमते दीन की सआ़दत पा रही हैं । हम सब ग़ौर करें कि जो मेरी ज़िम्मेदारी है, उस के मुत़ाबिक़ क्या मैं वक़्त दे पा रही हूं कि नहीं ? अपनी ज़िम्मेदारी के तक़ाज़े पूरे कर पा रही हूं कि नहीं ? मेरे शहर / अ़लाके़ / गांव में 8 मदनी कामों की धूम धाम है कि नहीं ? नई इस्लामी बहनों पर इनफ़िरादी कोशिश कर के उन को