Lalach Ka Anjaam

Book Name:Lalach Ka Anjaam

          दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना की किताब "जन्नती ज़ेवर" के सफ़ह़ा नम्बर 111 पर लिखा है : लालच और ह़िर्स का जज़्बा ख़ूराक, लिबास, मकान, सामान, दौलत, इ़ज़्ज़त, शोहरत, अल ग़रज़ ! हर ने'मत में हुवा करता है । (जन्नती ज़ेवर, स. 111, मुलख़्ख़सन) मगर आज हम जिस ह़िर्स व लालच के बारे में सुनेंगी इस से मुराद बुरी लालच है । लालची इन्सान निहायत क़ाबिले रह़म होता है, इस लिये कि होश्यार लोग त़रह़ त़रह़ से लालच दिला कर इसे बे वुक़ूफ़ बना कर अपने काम निकलवाते हैं ।

          आइये ! ऐसे ही एक बे वुक़ूफ़ और लालची शख़्स का वाक़िआ़ सुनती हैं जिसे इ़ज़्ज़त की दाल रोटी नसीब थी मगर अच्छा खाने की ह़िर्स ने उसे एक मालदार दोस्त के तल्वे चाटने पर मजबूर कर दिया, जिस की वज्ह से न सिर्फ़ उस की इ़ज़्ज़त ख़राब हो गई बल्कि उसे ज़िल्लतो रुस्वाई का सामना भी करना पड़ा । चुनान्चे,

दौलत के लालच में दोस्ती करने का अन्जाम

          दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना की किताब "ह़िर्स" के सफ़ह़ा नम्बर 218 पर लिखा है : एक ग़रीब आदमी के 3 बेटे थे, जो कुछ उसे दाल रोटी नसीब होती ख़ुद भी खाता और उन्हें भी खिलाता । उन में से एक बेटा बाप की ग़ुर्बत और दाल रोटी से ख़ुश नहीं था, चुनान्चे, उस ने एक मालदार नौजवान से दोस्ती कर ली और अच्छा खाना मिलने के लालच में उस के घर आने जाने लगा । एक दिन उन के दरमियान किसी बात पर नाराज़ी हो गई, मालदार दोस्त ने अपनी अमीरी के ग़ुरूर में उसे ख़ूब मारा, पीटा और उस के दांत तोड़ डाले । तब वोह ग़रीब दिल ही दिल में तौबा करते हुवे कहने लगा : मेरे बाप की प्यार से दी हुई दाल रोटी इस मार धाड़ और ज़िल्लत के निवाले से बेहतर है, अगर मैं अच्छे खाने, पीने की लालच न करता, तो आज इतनी मार न खाता और मेरे दांत नहीं टूटते । (ह़िर्स, स. 218)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बयान कर्दा ह़िकायत में बिल ख़ुसूस उन इस्लामी बहनों के लिये इ़ब्रत के मदनी फूल मौजूद हैं जो मालो दौलत या ओ़ह्दा व मन्सब वग़ैरा के लालच में मुब्तला हो कर अपनी आख़िरत को दाव पर लगा देती और फिर बा'द में पछताती हैं । याद रखिये ! अल्लाह पाक ने जिस का जितना रिज़्क़ लिख दिया है उसे वोह मिल कर रहेगा, लिहाज़ा आ़फ़िय्यत इसी में है कि जितना अल्लाह पाक ने हमें नवाज़ा है, हम उसी पर क़नाअ़त करना सीखें, ज़ियादा के लालच का ख़याल भी अपने दिलो दिमाग़ से निकाल दें क्यूंकि इन्सानी त़बीअ़त में येह बात शामिल है कि अगर उस के पास मालो दौलत का ढेर सारा ख़ज़ाना भी हाथ लग जाए तब भी वोह लालच करने से बाज़ नहीं आएगा और मज़ीद मालो दौलत की तमन्ना उस के दिल में बाक़ी रहेगी । चुनान्चे,

        आक़ा करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : बूढ़े का दिल दो चीज़ों की मह़ब्बत में जवान ही रहता है : (1) ज़िन्दगी और (2) माल की मह़ब्बत । (مسلم،کتاب الزکاۃ،باب کراھۃ الحرص… الخ،ص۴۰۳ ، حدیث:۱۰۴۶) एक और मक़ाम पर इरशाद फ़रमाया : अगर