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Book Name:Maa Baap Ko Satana Haram Hai

आवाज़ दें, बिला उ़ज़्र जवाब में ताख़ीर न कीजिये । उ़मूमन बा'ज़ लोग इस में ला परवाई से काम लेते हैं और जवाब में ताख़ीर को مَعَاذَ اللّٰہ बुरा भी नहीं समझते ।

          याद रहे ! मां-बाप, दादा, दादी वग़ैरा के सिर्फ़ बुलाने से नमाज़ तोड़ना जाइज़ नहीं, अलबत्ता अगर उन का पुकारना किसी बड़ी मुसीबत के लिये हो, तो तोड़ दे । येह ह़ुक्म फ़र्ज़ का है और अगर नफ़्ल नमाज़ है और उन को मा'लूम है कि नमाज़ पढ़ता है, तो उन के मा'मूली पुकारने से नमाज़ न तोड़े और उस का नमाज़ पढ़ना उन्हें मा'लूम न हो और पुकारा, तो तोड़ दे और जवाब दे, अगर्चे मा'मूली त़ौर से बुलाएं । (बहारे शरीअ़त, जि. 1, स. 638, मुलख़्ख़सन) (बा'द में उस नमाज़े नफ़्ल को दोबारा अदा करना वाजिब है) जो लोग वालिदैन की पुकार पर ख़्वाह म-ख़्वाह बे तवज्जोही का मुज़ाहरा कर के उन का दिल दुखाते हैं, वोह सख़्त गुनहगार और अ़ज़ाबे नार के ह़क़दार हैं । मां आख़िर मां होती है, बसा अवक़ात ग़लत़ फे़हमी में भी उस के मुंह से बद दुआ़ निकल सकती है और अगर क़बूलिय्यत की घड़ी हो, तो औलाद आज़माइश में पड़ जाती है । चुनान्चे,

          सुल्त़ाने दो जहान, सरवरे ज़ीशान صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने इ़ब्रत निशान है : बनी इसराईल में जुरैज नामी एक शख़्स था, वोह नमाज़ पढ़ रहा था, उस की मां आई और उसे आवाज़ दी लेकिन उस ने जवाब न दिया । कहने लगा : नमाज़ पढ़ूं या इस का जवाब दूं । फिर उस की मां आई (और जवाब न पा कर उस ने बद दुआ़ दी :) ऐ अल्लाह पाक ! इसे उस वक़्त तक मौत न देना जब तक येह किसी फ़ाह़िशा (या'नी बदकार) औ़रत का मुंह न देखे । जुरैज एक दिन इ़बादत ख़ाने में था, एक औ़रत ने कहा : मैं इसे बहका दूंगी । लिहाज़ा वोह आ कर जुरैज से बातें करने लगी लेकिन उस (या'नी जुरैज) ने इन्कार किया । आख़िर वोह एक चरवाहे के पास गई और अपने आप को उस के ह़वाले कर दिया । चुनान्चे, उस ने एक बच्चा जना और उसे जुरैज से मन्सूब कर डाला, लोग जुरैज के पास आए, उस का इ़बादत ख़ाना तोड़ कर उसे बाहर निकाल दिया और उसे बुरा भला कहा । जुरैज ने वुज़ू किया और नमाज़ पढ़ी फिर उस बच्चे के पास आया और कहा : बच्चे ! तेरा बाप कौन है ? उस ने जवाब दिया : फ़ुलां चरवाहा । तो लोगों ने जुरैज से कहा : हम तुम्हारा इ़बादत ख़ाना सोने का बना देंगे । उस ने कहा : नहीं ! वैसा ही मिट्टी का बना दो । ( بُخاری، ٢ /١٣٩،حدیث:٢٤٨٢)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "मदनी दर्स"

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि मां को नाख़ुश करने वाला इन्सान दुन्या के अन्दर ही आज़माइशों में मुब्तला कर दिया जाता है, लिहाज़ा हमें चाहिये कि हम मां-बाप की ना फ़रमानी से बचें, उन का दिलो जान से अदब बजा लाएं, उन को राज़ी रखने की भरपूर कोशिश करें और येह मदनी सोच पाने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो कर ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लें । ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में से रोज़ाना का एक मदनी काम



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