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Book Name:Maa Baap Ko Satana Haram Hai

रिज़ा में अल्लाह पाक की रिज़ा और उन की नाराज़ी में अल्लाह पाक की नाराज़ी है । (شعب الایمان،باب فی بر الوالدین،۶/۱۷۷، حدیث: ۷۸۳۰  )

          ह़ज़रते सय्यिदुना अबू उमामा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से रिवायत है कि एक शख़्स ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! वालिदैन का औलाद पर क्या ह़क़ है ? फ़रमाया : هُمَاجَنَّتُكَ وَنَارُكَ वोह दोनों तेरी जन्नत व दोज़ख़ हैं (या'नी इन को राज़ी रखने से जन्नत मिलेगी और नाराज़ रखने से दोज़ख़ के मुस्तह़िक़ (ह़क़दार) होंगे । (बहारे शरीअ़त, 3 / 553, (ابنِ ماجه، کتاب الادب، باب بر الوالدین ،۴/۱۸۶،حدیث:۳۶۶۲

जन्नत मां के क़दमों के नीचे

          ह़ज़रते सय्यिदुना जाहिमा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाहे अक़्दस में ह़ाज़िर हो कर अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! मैं राहे ख़ुदा में लड़ना चाहता हूं और आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाह में मश्वरा करने के लिये ह़ाज़िर हुवा हूं । इरशाद फ़रमाया : क्या तुम्हारी मां है ? अ़र्ज़ की : जी हां ! इरशाद फ़रमाया : فَالْزَمْهَا فَاِنَّ الْجَنَّةَ  تَحْتَ رِجْلَيْهَا उस की ख़िदमत को अपने ऊपर लाज़िम कर लो क्यूंकि जन्नत उस के क़दमों के नीचे है । (نسائی،کتاب الجھاد، الرخصة فی التخلف  لمن  له   والدة ،ص۵۰۴، حدیث  :۳۱۰۱  )

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! वालिदैन की दुआ़एं औलाद के ह़क़ में मक़्बूल होती हैं, बस उन्हें ख़ुश रखिये, ख़ूब ख़िदमत कर के उन की दुआ़एं लीजिये, उन की ख़ुशी ईमान की सलामती और उन की नाराज़ी ईमान की बरबादी का बाइ़स हो सकती है । मां-बाप का फ़रमां बरदार हमेशा शादो आबाद रहता है, दुन्या में जहां कहीं रहे, अपने मां-बाप की दुआ़ओं का फै़ज़ उठाता है ।

          शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपने रिसाले "समुन्दरी गुम्बद" सफ़ह़ा नम्बर 6 ता 7 पर फ़रमाते है : ख़ूब हमदर्दी और प्यार व मह़ब्बत से मां-बाप का दीदार कीजिये, मां-बाप की त़रफ़ ब नज़रे रह़मत देखने के भी क्या कहने ! सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने रह़मत निशान है : जब औलाद अपने मां-बाप की त़रफ़ रह़मत की नज़र करे, तो अल्लाह पाक उस के लिये हर नज़र के बदले ह़ज्जे मबरूर (या'नी मक़्बूल ह़ज) का सवाब लिखता है । सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने अ़र्ज़ की : अगर्चे दिन में सौ मरतबा नज़र करे ! फ़रमाया : نَعَمْ، اَللّٰہُ اَکْبَرُ وَاَطْیَبُ हां ! अल्लाह पाक सब से बड़ा है और सब से ज़ियादा पाक है । (شُعَبُ الْاِیمان،۶/۱۸۶،حدیث:۷۸۵۶ ) यक़ीनन अल्लाह पाक हर चीज़ पर क़ादिर है, वोह जिस क़दर चाहे दे सकता है, हरगिज़ आ़जिज़ व बेबस नहीं, लिहाज़ा अगर कोई अपने मां-बाप की त़रफ़ रोज़ाना 100 तो क्या, एक हज़ार बार भी रह़मत की नज़र करे, तो वोह उसे एक हज़ार मक़्बूल ह़ज का सवाब इ़नायत फ़रमाएगा ।

 



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