Book Name:Faizan e Mushkil Kusha
(تاریخ الْخُلَفاء ص۱۳۲، اسد الغابۃ ج۴ ص۱۲۸، ۱۳۲، ازالۃ الخفاء ج۴ص۴۰۵، معرفۃ الصحابۃ ج۱ص۱۰۰وغیرہ, करामाते शेरे ख़ुदा, स. 11)
आप का क़द मुबारक न ज़ियादा लम्बा न ज़ियादा छोटा था बल्कि आप मियाना क़ामत थे, आप की आंखें बड़ी बड़ी और चेहरए मुबारक इन्तिहाई ख़ूब सूरत था, जैसे चौदहवीं का चांद । ह़ज़रत अ़ली کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم के दोनों कन्धों के दरमियान फ़ासिला था । आप की हथेलियां और कन्धों की हड्डियां भारी थीं और आप की गरदन मुबारक चांदी की सूराह़ी जैसी थी, आप के सर मुबारक पर बाल पेशानी पर नहीं बल्कि पीछे की त़रफ़ थे, आप की दाढ़ी मुबारक घनी थी जिस का हर बाल बिग़ैर ख़िज़ाब के सियाह था । आप के बाज़ू और हाथ सख़्त मज़बूत़ थे । النضرۃ،ج۳،ص۱۰۷۔۱۰۸) (الریاض
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अगर हम मौला अ़ली मुश्किल कुशा, शेरे ख़ुदा کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم का बचपन देखें, तो वोह भी बे नज़ीर व बे मिसाल
PB
था, आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ बचपन ही से नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सोह़बत में रह कर तरबिय्यत ह़ासिल फ़रमाते । रह़मते दो आलम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ की कफ़ालत फ़रमाई, बचपन ही में इस्लाम लाए, छोटी सी उ़म्र में नेकी की दा'वत में बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लिया और इस राह में आने वाली रुकावटें आप की तरबिय्यत का ह़िस्सा बनीं । शेरे ख़ुदा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ के मुबारक बचपन का एक ख़ूब सूरत गोशा मुलाह़ज़ा फ़रमाइये । चुनान्चे,
आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ की वालिदए माजिदा ह़ज़रते सय्यिदतुना फ़ाति़मा बिन्ते असद رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا का बयान है : अमीरुल मोमिनीन ह़ज़रते सय्यिदुना अ़लिय्युल मुर्तज़ा کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم जब पैदा हुवे, तो आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उन का नाम अ़ली रखा और अपना लुआब आप के मुंह में डाला और अपनी