Faizan e Mushkil Kusha

Book Name:Faizan e Mushkil Kusha

12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "मस्जिद दर्स"

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! सुन्नतों को फैलाने और बुज़ुर्गाने दीन की सीरत अपनाने के लिये आशिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी से हर दम वाबस्ता रहिये और अपनी मसरूफ़िय्यात में से कुछ वक़्त निकाल कर ज़ैली ह़ल्क़े के 12 मदनी कामों में भरपूर ह़िस्सा लीजिये । याद रहे ! ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में से रोज़ाना का एक मदनी काम "मस्जिद दर्स" भी है जो इ़ल्मे दीन सीखने सिखाने का मोअस्सिर तरीन ज़रीआ है ।

٭ मस्जिद दर्स बहुत ही प्यारा मदनी काम है कि इस की बरकत से मस्जिद की ह़ाज़िरी की बार बार सआदत ह़ासिल होती है । ٭ मस्जिद दर्स की बरकत से मुत़ालए़ का मौक़अ़ मिलता है । ٭ मस्जिद दर्स की बरकत से मुसलमानों से मुलाक़ात व सलाम की सुन्नत आम होती है । ٭ मस्जिद दर्स की बरकत से अमीरे अहले सुन्नत के मुख़्तलिफ़ मौज़ूआत पर मुश्तमिल कुतुबो रसाइल से इ़ल्मे दीन से माला माल क़ीमती मदनी फूल उम्मते मुस्लिमा तक पहुंचाए जा सकते हैं । ٭ मस्जिद दर्स, बे नमाज़ियों को नमाज़ी बनाने में बहुत मुआविन व मददगार है ।

दुआए अ़त़्त़ार : या रब्बे मुह़म्मद عَزَّوَجَلَّ ! जो इस्लामी भाई या इस्लामी बहन रोज़ाना 2 दर्स दें या सुनें उन को और मुझे बे ह़िसाब बख़्श और हमें हमारे मदनी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के पड़ोस में इकठ्ठा रख

اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

आइये ! मस्जिद दर्स की एक ईमान अफ़रोज़ मदनी बहार सुनिये । चुनान्चे,

दर्स में बैठने वाला आलिम बन गया

        मुल्के मुर्शिद के एक इस्लामी भाई जो नवीं कलास में पढ़ते थे और ह़ुसूले दुन्या की जुस्तुजू में मगन थे । अ़लाके़ के इस्लामी भाई उन को दा'वत दे कर मस्जिद ले गए जब नमाज़ पढ़ कर मस्जिद से जाने लगे, तो एक ख़ैर ख़्वाह