Faizan e Mushkil Kusha

Book Name:Faizan e Mushkil Kusha

कमालात के तो क्या कहने ! आप की तो शान ही निराली है, आप साह़िबे सियादत, मुह़िब्बे आख़िरत, मह़बूबे रब्बुल इ़ज़्ज़त, बाबे मदीनतुल इ़ल्म और शह सुवारे मैदाने ख़ित़ाबत थे, आप क़ुरआनो सुन्नत से साबित होने वाले मसाइल को निकालने की ख़ूब सलाह़िय्यत रखते, इत़ाअ़त गुज़ारों के लिये चराग़ और परहेज़गारों के दोस्त थे, अ़द्ल करने वालों के इमाम और सब से बढ़ कर ह़िल्म व इ़ल्म वाले थे । शैख़े त़रीक़त अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपने रिसाले "करामाते शेरे ख़ुदा" में आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم का तआरुफ़ कुछ यूं बयान फ़रमाते हैं कि :

नाम व नसब व हु़ल्या मुबारक

        अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना मौला अ़ली मुश्किल कुशा, शेरे ख़ुदा کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم मक्कतुल मुकर्रमा زَادَہَا اللّٰہُ شَرَفاً وَّتَعْظِیْماً में पैदा हुवे । आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم की वालिदए माजिदा, ह़ज़रते सय्यिदतुना फ़ाति़मा बिन्ते असद

رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا ने अपने वालिद के नाम पर आप का नाम "है़दर" रखा, वालिद ने आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم का नाम "अ़ली" रखा । हु़ज़ूरे पुरनूर, शाफे़ए़ यौमुन्नूशूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم को "असदुल्लाह" (या'नी अल्लाह का शेर) के लक़ब से नवाज़ा, इस के इ़लावा "मुर्तज़ा" (या'नी चुना हुवा), "कर्रार" (या'नी पलट पलट कर हमले करने वाला), "शेरे ख़ुदा" और "मौला मुश्किल कुशा" आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم के मश्हूर अल्क़ाबात हैं । आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم मक्की मदनी आक़ा, मीठे मीठे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के चचाज़ाद भाई हैं । (मिरआतुल मनाजीह़, जि. 8 स. 412 वग़ैरा मुलख़्ख़सन, करामाते शेरे ख़ुदा, स. 11)

ख़लीफ़ए चहारुम जां नशीने रसूल, ज़ौजे बतूल ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ली बिन अबी त़ालिब کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم की कुन्यत "अबुल ह़सन" और "अबू तुराब" है ।

उस ने लक़बे ख़ाक शहनशाह से पाया