Book Name:Faizan e Mushkil Kusha
जो है़दरे कर्रार कि मौला है हमारा
(ह़दाइके़ बख़्शिश, स. 32)
आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم शहनशाहे अबरार, मक्के मदीने के ताजदार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के चचा अबू त़ालिब के फ़रज़न्दे अरजुमन्द हैं । आमुल फ़ील के 30 साल बा'द (जब हु़ज़ूर नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की उ़म्र शरीफ़ 30 बरस थी) 13 रजबुल मुरज्जब, बरोज़ जुमुअ़तुल मुबारक को पैदा हुवे । आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم 10 साल की उ़म्र में ही दाइरए इस्लाम में दाख़िल हो गए थे और शहनशाहे नबुव्वत, ताजदारे रिसालत, शाफे़ए़ उम्मत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के ज़ेरे तरबिय्यत रहे और तादमे ह़यात आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की इमदाद व नुसरत और दीने इस्लाम की ह़िमायत में मसरूफ़े अ़मल रहे ।
PB
आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم मुहाजिरीने अव्वलीन और अ़शरए मुबश्शरा में शामिल होने और दीगर ख़ुसूसी दरजात से मुशर्रफ़ होने की बिना पर बहुत ज़ियादा मुमताज़ है़सिय्यत रखते हैं । ग़ज़वए बद्र, ग़ज़वए उहु़द, ग़ज़वए ख़न्दक़ वग़ैरा तमाम इस्लामी जंगों में अपनी बे पनाह शुजाअ़त के साथ शिर्कत फ़रमाते रहे और ग़ैर मुस्लिमों के बड़े बड़े नामवर बहादुर आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم के क़ाहिराना वार से वासिले नार हुवे । (करामाते शेरे ख़ुदा, स. 12)
दुश्मन का ज़ोर बढ़ चला है या अ़ली मदद !
अब ज़ुल्फ़िक़ारे ह़ैदरी फिर बे नियाम हो
(वसाइले बख़्शिश, स. 310)
अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़स्माने ग़नी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ की शहादत के बा'द अन्सार व मुहाजिरीन ने दस्ते बा बरकत पर बैअ़त कर के आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم को अमीरुल मोमिनीन मुन्तख़ब किया और 4 बरस, 8 माह, 9 दिन तक मसनदे ख़िलाफ़त पर रौनक़ अफ़रोज़ रहे । 17 या 19 रमज़ानुल मुबारक को एक बद बख़्त के क़ातिलाना ह़म्ले से शदीद ज़ख़्मी हो गए और 21 रमज़ान शरीफ़, यक शम्बा (इतवार) की रात जामे शहादत नोश फ़रमा गए ।