Book Name:Hajj Kay Mahine Kay Ibtidai 10 Din
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के 108 से ज़ियादा शोबाजात हैं जिन में से एक "मजलिसे तौक़ीत" भी है । तौक़ीत से मुराद वोह इ़ल्म है जिस की मदद से दुन्या के किसी भी मक़ाम के लिए पांचों नमाज़ों, त़ुलूअ़ व ग़ुरूब और निस्फ़ुन्नहार वग़ैरा के अवक़ात मालूम किए जाते और दुरुस्त सम्ते क़िब्ला का तअ़य्युन किया जाता है । मजलिसे तौक़ीत ने इ़ल्मे तौक़ीत के ज़रीए़ नमाज़ों के अवक़ात, त़ुलूअ़ व ग़ुरूब और सम्ते क़िब्ला की दुरुस्त मालूमात नक़्शे की सूरत में जम्अ़ की हैं । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मजलिसे तौक़ीत ने अब तक न सिर्फ़ इ़ल्मे तौक़ीत के उसूलो क़वानीन के मुत़ाबिक़ बे शुमार शहरों के "अवक़ातुस्सलाह" के नक़्शे तय्यार किए हैं बल्कि इस सिलसिले में मज़ीद एक क़दम बढ़ाते हुवे आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के एक शोबे "मजलिसे आई-टी" के तआ़वुन से एक ऐसा साफ़्टवियर बनाम "अवक़ातुस्सलाह" भी पेश किया है जो कम्प्यूटर और मोबाइल वग़ैरा पर दुरुस्त नमाज़ों के वक़्त की निशान देही में बेह़द फ़ाएदा देने वाला है । कम्प्यूटर (डेस्कटाप ऐप्लीकेशन) के ज़रीए़ दुन्या भर के तक़रबीन सत्ताईस लाख मक़ामात जबकि मोबाइल ऐप्लीकेशन के ज़रीए़ तक़रबीन दस हज़ार मक़ामात के लिए दुरुस्त अवक़ाते नमाज़ व सम्ते क़िब्ला आसानी से मालूम किए जा सकते हैं । निज़ामुल अवक़ात के बारे में किसी भी क़िस्म का मस्अला या तज्वीज़ हो, तो मजलिस के अराकीन व ज़िम्मेदारान से दावते इस्लामी के आ़लमी मदनी मर्कज़, फै़ज़ाने मदीना में या इस ई-मेल ऐड्रेस : prayer@dawateislami.net पर राबित़ा किया जा सकता है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे मक्तबतुल मदीना के रिसाले "मदनी मर्कज़ की आबादकारी कैसे हो ?" के सफ़ह़ा नम्बर 56, 57 और 58 से मस्जिद के आदाब सुनने की सआ़दत ह़ासिल करते हैं : ٭ मस्जिद व फ़िनाए मस्जिद की कोई चीज़ इस्तिमाल करने के लिए घर नहीं ले जा सकते । ٭ पानी ठन्डा करने वाला कूलर ऐ़ने मस्जिद में नहीं रख सकते । ٭ ऐ़ने मस्जिद में हर किसी को कपड़े धोना, सुखाना, लटकाना मन्अ़ है । ٭ मस्जिद व फ़िनाए मस्जिद में बिला इजाज़ते शरई़ किसी क़िस्म की तोड़ फोड़ नहीं कर सकते । ٭ मस्जिद में बिग़ैर निय्यते एतिकाफ़ खाना, पीना, सोना मन्अ़ है । ٭ ऐसी अश्या (चीज़ें) जिन से इन्क़ित़ाए़ सफ़ हो (मसलन जूतों के डिब्बे, स्पीकर, डेस्क वग़ैरा उन्हें) सफ़ में नहीं रख सकते । इसी त़रह़ सफ़ के आख़िर में भी नहीं रख सकते कि इत्मामे सफ़ में ख़़लल अन्दाज होंगी । ٭ ऐ़ने मस्जिद में मस्जिद का स्टोर नहीं बना सकते । ٭ कच्चा प्याज़, कच्चा लहसन, सिगरेट वग़ैरा बदबूदार चीज़ें मस्जिद व फ़िनाए मस्जिद में खाना, पीना या खाने, पीने के बाद जब तक बू मुंह में हो, मस्जिद व फ़िनाए मस्जिद में जाना नाजाइज़ व ह़राम है । ٭ मस्जिद के इतना क़रीब इस्तिन्जा ख़ाने बनाना कि बदबू मस्जिद में पहुंचे, नाजाइज़ व ह़राम है । ٭ मस्जिद व फ़िनाए मस्जिद में इन की ज़रूरत के बिग़ैर कोई वाइरिंग नहीं कर सकते । ٭ मस्जिद व फ़िनाए मस्जिद में मद्रसे (वोह मद्रसा जो मस्जिद का