Hajj Kay Mahine Kay Ibtidai 10 Din

Book Name:Hajj Kay Mahine Kay Ibtidai 10 Din

          ह़ज़रते अ़ल्लामा शैख़ अ़ब्दुल ह़क़ मुह़द्दिसे देहलवी رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : क़ुरबानी, अपने करने वाले के नेकियों के पल्ले में रखी जाएगी, जिस से नेकियों का पल्ड़ा भारी होगा । (اشعۃُ اللّمعات،۱/۶۵۴)

          ह़ज़रते अ़ल्लामा अ़ली क़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : फिर उस के लिए सुवारी बनेगी जिस के ज़रीए़ येह शख़्स आसानी के साथ पुल सिरात़ से गुज़रेगा और उस (जानवर) का हर उ़ज़्व मालिक (यानी क़ुरबानी पेश करने वाले) के हर उ़ज़्व (के लिए दोज़ख़ से आज़ादी) का फ़िदया बनेगा । (مرقاۃ المفاتیح،۳/۵۷۴،تحت الحدیث:۱۴۷۰, मिरआतुल मनाजीह़, 2 / 375)

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! बयान कर्दा अह़ादीसे मुबारका से मालूम हुवा ! ई़दे क़ुरबान पर अल्लाह पाक क़ुरबानी का फ़रीज़ा सर अन्जाम देने वाले ख़ुश नसीबों को उन के जानवरों के हर बाल के बदले एक नेकी अ़त़ा फ़रमाता है, क़ुरबानी करने वालों को दोज़ख़ की आग से नजात मिलती है, जानवर के ख़ून का पेहला क़त़रा ज़मीन पर गिरने से पेहले पेहले गुनाह मुआ़फ़ कर दिए जाते हैं, क़ियामत के दिन क़ुरबानी नेकियों के पल्ड़े में रखी जाएगी, तो वोह भारी (Heavy) हो जाएगा और क़ुरबानी करने वाला अपने जानवर पर सुवार हो कर पुल सिरात़ से आसानी के साथ गुज़र जाएगा । लिहाज़ा जो मुसलमान (मर्द व औ़रत, बालिग़, मुक़ीम) मालिके निसाब हो (यानी उस शख़्स के पास साढ़े बावन तोले चांदी या इतनी मालिय्यत की रक़म या इतनी मालिय्यत का तिजारत का माल या इतनी मालिय्यत का ह़ाजते अस्लिय्या के इ़लावा सामान हो और उस पर अल्लाह करीम या बन्दों का इतना क़र्ज़ न हो जिसे अदा कर के ज़िक्र कर्दा निसाब बाक़ी न रहे), तो ऐसे शख़्स पर शरअ़न क़ुरबानी वाजिब है । (अब्लक़ घोड़े सुवार, स. 6) लिहाज़ा उसे चाहिए कि वोह ख़ुश दिली के साथ क़ुरबानी का फ़रीज़ा सर अन्जाम दे और साथ साथ क़ुरबानी के मसाइल भी सीखने की कोशिश करे क्यूंकि जिस शख़्स पर शरई़ उसूलों की बिना पर क़ुरबानी वाजिब है, उस पर क़ुरबानी से मुतअ़ल्लिक़ मसाइल सीखना भी लाज़िम हैं ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी कई मुआ़मलात में हमारी रेहनुमाई करती है, इसी त़रह़ क़ुरबानी करने वालों की आसानी के लिए "ऑन लाइन क़ुरबानी कोर्स" भी करवाया जाता है । येह कोर्स सिर्फ़ 7 दिन का होता है, जिस में रोज़ाना सिर्फ़ आधे घन्टे की क्लास होती है । बिल ख़ुसूस वोह आ़शिक़ाने रसूल जो इस साल क़ुरबानी की सआ़दत ह़ासिल करेंगे, मशवरा है कि वोह येह क़ुरबानी कोर्स ज़रूर करने की कोशिश करें ताकि क़ुरबानी शरीअ़त के मुत़ाबिक़ दुरुस्त त़रीके़ से हो सके ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हम इस्लामी महीने "ज़ुल ह़िज्जा" की फ़ज़ीलत और क़ुरबानी के बारे में सुन रहे थे । उ़मूमन ई़दे क़ुरबान के मौक़अ़ पर गोश्त की कसरत के बाइ़स सब्ज़ियां और दालें पकाने, खाने का रुजह़ान तक़रीबन न होने के बराबर होता है और गोश्त से बने खाने, पकाने को ही ज़ियादा तरजीह़ दी जाती है, जिस के बाइ़स गोश्त से जो फ़वाइदो समरात हमें मिलने थे, बहुत ज़ियादा इस्तिमाल की वज्ह से हम उन फ़वाइद से मह़रूम और गोश्त ख़ोरी की आफ़त में मुब्तला होने के सबब डॉक्टरों के धक्के खाने पर मजबूर हो जाते हैं, लिहाज़ा गोश्त के मुआ़मले में