Book Name:Hajj Kay Mahine Kay Ibtidai 10 Din
दिल खोल कर ख़र्च करना चाहिए, दावते इस्लामी के मदनी कामों में ख़ुद भी शिर्कत करनी चाहिए और इनफ़िरादी कोशिश के ज़रीए़ दूसरों को भी इस की दावत देते रेहना चाहिए । मदनी इनआ़मात पर अ़मल की बरकत से हमें इनफ़िरादी कोशिश और दीगर मदनी कामों में शिर्कत की भी सआ़दत मिलती है । चुनान्चे, मदनी इनआ़म नम्बर 22 है : "क्या आज आप ने कम अज़ कम दो इस्लामी भाइयों को इनफ़िरादी कोशिश के ज़रीए़ दावते इस्लामी के मदनी कामों की तरग़ीब दिलाई ?" अल्लाह करीम हम सभी को ख़ुद भी दावते इस्लामी के मदनी काम करने और इस की तरग़ीब दिलाने वाला जज़्बा नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الکَرِیْم صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ज़ुल ह़िज्जतिल ह़राम इस्लामी साल का वोह बारहवां महीना है जो ह़ुर्मत वाले महीनों में शामिल है । ह़ुर्मत यानी एह़तिराम वाले महीने चार हैं : (1) ज़ुल क़ादतिल ह़राम । (2) ज़ुल ह़िज्जतिल ह़राम । (3) मोह़र्रमुल ह़राम और (4) रजबुल मुरज्जब । इन में से अफ़्ज़ल ज़ुल ह़िज्जतिल ह़राम है, बिल ख़ुसूस इस के पेहले 10 दिन और रातों के फ़ज़ाइल तो बहुत ज़ियादा हैं । क़ुरआने करीम ने भी इस महीने की पेहली 10 रातों की क़सम इरशाद फ़रमाई है । चुनान्चे, पारह 30, सूरतुल फ़ज्र की आयत नम्बर 1 और 2 में इरशादे बारी है :
وَ الْفَجْرِۙ(۱) وَ لَیَالٍ عَشْرٍۙ(۲) (پ۳۰،الفجر:۱،۲)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : सुब्ह़ की क़सम और दस रातों की ।
ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह बिन अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا बयान फ़रमाते हैं : इन दस रातों से मुराद ज़ुल ह़िज्जा की पेहली 10 रातें हैं क्यूंकि येह ज़माना ह़ज के आमाल में मश्ग़ूल होने का ज़माना है । (خازن، الفجر،تحت الآیۃ:۱،۴/۴۰۱) اَلْحَمْدُ لِلّٰہ अह़ादीसे मुबारका में भी मुख़्तलिफ़ मक़ामात पर इन दस दिनों और रातों के फ़ज़ाइल बयान हुवे हैं । आइए ! तरग़ीब के लिए 5 फ़रामीने मुस्त़फ़ा सुनते हैं । चुनान्चे,
ज़ुल ह़िज्जा के पेहले 10 दिनों के फ़ज़ाइल
1. इरशाद फ़रमाया : अल्लाह करीम के नज़दीक कोई भी दिन अ़शरए ज़ुल ह़िज्जा से ज़ियादा न अ़ज़ीम है और न इन दिनों से बढ़ कर किसी दिन का नेक अ़मल उसे मह़बूब है । लिहाज़ा इन दिनों में तहलील (यानी لَاۤاِلٰہَ اِلَّا اللہُ, तक्बीर (यानी اَللہُ اَکْبَر) और तह़मीद (यानी اَلْحَمْدُلِلہِ) की कसरत करो । (مسنداحمد،مسندعبداللہ بن عمر،۲/ ۳۶۵، حدیث: ۵۴۴۷)
2. इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक के नज़दीक अ़शरए ज़ुल ह़िज्जा के दिनों से अफ़्ज़ल कोई दिन नहीं । (ابن حبان،کتاب الحج،باب الوقوف بعرفة...الخ،ذکررجاء العتق من النار...الخ،۶/۶۲،حدیث:۳۸۴۲)
3. इरशाद फ़रमाया : जिन दिनों में अल्लाह पाक की इ़बादत की जाती है, उन में से कोई दिन ज़ुल ह़िज्जा के दस दिनों से ज़ियादा पसन्दीदा नहीं, इन में से (दस ज़ुल ह़िज्जा के इ़लावा) हर दिन का रोज़ा एक साल के रोज़ों और (दस ज़ुल ह़िज्जा समेत) हर रात का क़ियाम लैलतुल क़द्र के क़ियाम के बराबर है । (ترمذی،کتاب الصوم،باب ما جاء فی العمل فی ایام العشر،۲/۱۹۲،حدیث:۷۵۸)
इरशाद फ़रमाया : अल्लाह करीम के नज़दीक ह़ज के इन दस दिनों से अफ़्ज़ल और पसन्दीदा कोई दिन नहीं, लिहाज़ा इन दिनों में سُبْحٰنَ اللہِ, اَلْحَمْدُلِلہِ, لَاۤاِلٰہَ اِلَّا اللہُ और اَللہُ اَکْبَرُ की कसरत किया