Hajj Kay Mahine Kay Ibtidai 10 Din

Book Name:Hajj Kay Mahine Kay Ibtidai 10 Din

1.      करो । एक रिवायत में है कि इन दिनों में سُبْحٰنَ اللہِ, اَلْحَمْدُلِلہِ, لَاۤاِلٰہَ اِلَّا اللہُ और ज़िक्रुल्लाह की कसरत किया करो और इन में से एक दिन का रोज़ा एक साल के रोज़ों के बराबर है और इन दिनों में अ़मल को 700 गुना बढ़ा दिया जाता है । (شعب الایمان ،باب فی الصیام، فصل تخصیص ایام العشر…الخ،۳/۳۵۶ ، رقم: ۳۷۵۸)

2.      इरशाद फ़रमाया : ह़ज के दस दिनों में किया गया अ़मल, अल्लाह पाक को बक़िय्या दिनों में किए जाने वाले अ़मल से ज़ियादा मह़बूब है । सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ! क्या राहे ख़ुदा में लड़ना भी ? इरशाद फ़रमाया : हां ! राहे ख़ुदा में लड़ना भी, सिवाए उस शख़्स के जो अपनी जानो माल के साथ निकले और इन दोनों में से कुछ भी वापस न लाए । (بخاری ، کتاب العید ین ،باب فضل العمل …الخ،۱/۳۳۳، حدیث: ۹۶۹)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ज़ुल ह़िज्जतिल ह़राम के इन 10 दिनों में जितना हो सके अपनी नेकियों में इज़ाफ़ा करने की भरपूर कोशिश करनी चाहिए और अपनी ज़बान को फ़ालतू बातों से बचाते हुवे ज़िक्रुल्लाह से तर रखा जाए कि ज़िक्रुल्लाह के बे शुमार फ़ज़ाइल हैं । आइए ! चन्द फ़ज़ाइल सुनते हैं : ٭ येह कलिमात अल्लाह पाक को प्यारे हैं : سُبْحٰنَ اللہِ, اَلْحَمْدُلِلّٰہِ, لَآاِلٰہَ اِلَّااللہُ, اَللہُ اَکْبَر (ترمذی ، کتا ب الدعوات،باب۶۰،رقم:۳۴۷۳ ،۵/۲۸۶) ٭ سُبْحٰنَ اللہِ, اَلْحَمْدُلِلّٰہِ, لَآاِلٰہَ اِلَّااللہُ, اَللہُ اَکْبَر इन में से कोई भी कलिमा केहने से जन्नत में एक पौदा लगा दिया जाता है । (ابن ماجہ،کتاب الادب،باب فضل التسبیح،رقم:۳۸۰۷،۴/۲۵۲) ٭ سُبْحٰنَ اللہِ केहने से 20 नेकियां लिखी जाती हैं और 20 गुनाह मिटा दिए जाते हैं । (مستدرک،کتا ب الدعا ء والتکبیر الخ،باب فضیلۃ التسبیح،رقم:۱۹۲۹،۲/۱۹۲) ٭ لَآاِلٰہَ اِلَّا اللہُ केहने से 20 नेकियां लिखी जाती हैं और 20 गुनाह मिटा दिए जाते हैं । (ऐज़न) ٭ اَللہُ اَکْبَرُ केहने से 20 नेकियां लिखी जाती हैं और 20 गुनाह मिटा दिए जाते हैं । (ऐज़न) ٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہِ رَبِّ الْعَالَمِین केहने से 30 नेकियां लिखी जाती हैं और 30 गुनाह मिटा दिए जाते हैं । (ऐज़न) ٭ لَآ اِلٰہَ اِلَّا اللہُ जन्नत की चाबी है । (مسند احمد،رقم:۲۲۱۶۳،۸/۲۵۷) ٭ سُبْحٰنَ اللہِ केहना आधे मीज़ान को भर देता है । ٭ اَلْحَمْدُلِلّٰہِ केहना पूरे मीज़ान को भर देता है । ٭ لَآاِلٰہَ اِلَّا اللہُ सब से अफ़्ज़ल ज़िक्र है । (ابن ماجہ، کتاب الادب ،باب فضل الحامدین ،رقم: ۳۸۰۰ ،۴ / ۲۴۸)  और ٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہِ सब से अफ़्ज़ल दुआ़ है । (ऐज़न)

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! अभी हम ने अल्लाह पाक के ज़िक्र के फ़ज़ाइल सुने । इन फ़ज़ाइल से पेहले जो अह़ादीसे करीमा बयान हुईं उन से येह मालूम हुवा : ज़ुल ह़िज्जा के पेहले 10 दिन बहुत अ़ज़ीम दिन हैं, इन दिनों का अ़मल अल्लाह पाक को बहुत पसन्द है, येह बहुत ज़ियादा फ़ज़ीलत वाले दिन हैं जिन में ममनूआ़ दिनों के इ़लावा हर दिन का रोज़ा एक साल के रोज़ों और हर रात का क़ियाम लैलतुल क़द्र के क़ियाम के बराबर है, इन में किए जाने वाले आमाल बहुत ज़ियादा पाकीज़ा और सवाब वाले और राहे ख़ुदा में लड़ने से ज़ियादा अल्लाह पाक को पसन्द हैं, इन दिनों में अ़मल का सवाब 700 गुना बढ़ा दिया जाता है, अल ग़रज़ ! ज़ुल ह़िज्जा के पेहले दस दिन कई फ़ज़ाइलो बरकात और ख़ुसूसिय्यात (Specialities) से मालामाल हैं ।

          हर साल ग्यारह माह बाद ज़ुल ह़िज्जा के मुक़द्दस महीने में येह मुबारक  दिन तशरीफ़ लाते हैं और अपना फै़ज़ान तक़्सीम कर के तशरीफ़ ले जाते हैं मगर अफ़्सोस ! एक तादाद है जो इन दिनों