Book Name:Dil Joi Kay Fazail
चुनान्चे, नींद से जागने के बाद सुनार घबराते हुवे अपने उस ग़ैर मुस्लिम पड़ोसी के पास आया और केहने लगा : तुम मेरे पड़ोसी हो, मेरा तुम पर ह़क़ है और मुझे तुम से एक ज़रूरी काम है । ग़ैर मुस्लिम ने पूछा : बताओ ! क्या ह़ाजत है ? उस ने कहा : कल शाम तुम ने जो दस दिरहम फ़क़ीर को दिए थे, उन का सवाब सौ दिरहम के बदले मुझे दे दो । तो उस ने जवाब दिया : अल्लाह पाक की क़सम ! मैं एक लाख दीनार के बदले भी वोह सवाब न दूंगा बल्कि अगर आप ने उस मह़ल के दरवाज़े में भी दाख़िल होने की ख़्वाहिश की जो आप ने कल रात ख़्वाब में देखा था, तो मैं इस की भी इजाज़त न दूंगा । मुसलमान सुनार ने पूछा : आप को इस राज़ की ख़बर कैसे हुई ? तो ग़ैर मुस्लिम ने जवाब दिया : इस की ख़बर मुझे उस ज़ात ने दी है जो किसी भी चीज़ को केहती है : हो जा ! तो वोह हो जाती है और मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह पाक के सिवा कोई इ़बादत के लाइक़ नहीं और मैं येह भी गवाही देता हूं कि ह़ज़रते मुह़म्मद صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم उस के बन्दे और रसूल हैं । (حاشیۃ اعانۃ الطالبین ، باب الصوم ، فصل فی صوم التطوع ، ۲ / ۴۴۵ ، بتغیرقلیل)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! उस ग़ैर मुस्लिम ने एक मुसलमान की दिलजूई की, अल्लाह पाक ने अपने फ़ज़्ल से इस दिलजूई का उसे येह बदला दिया कि दौलते ईमान जैसी अ़ज़ीमुश्शान नेमत नसीब फ़रमा दी । ग़ौर कीजिए ! जब दिलजूई पर ईमान जैसी अ़ज़ीमुश्शान और अनमोल नेमत नसीब हो सकती है, तो दुन्या व आख़िरत की दूसरी नेमतें क्यूं ह़ासिल नहीं हो सकतीं, लिहाज़ा हमें भी दिलजूई की आ़दत बनानी चाहिए । आइए ! दिलजूई की तारीफ़ भी सुनती हैं । चुनान्चे,
दिलजूई की तारीफ़ और इस के फ़ज़ाइल
दिलजूई, दिलदारी, ग़म ख़्वारी, ग़म गुसारी येह तमाम अल्फ़ाज़ हम माना हैं, इन सब का मत़लब होता है : दूसरों से हमदर्दी करना, उन्हें ख़ुशी पहुंचाना, उन के दिलों में ख़ुशी दाख़िल करना वग़ैरा । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ हमारे दीन में दिलजूई की बड़ी अहम्मिय्यत है, मह़्ले फ़ितना से बचते हुवे जाइज़ त़रीके़ से मुसलमान मर्द का मुसलमान मर्दों, अपनी मह़र्रमात और बच्चों की अम्मी की, इसी त़रह़ मुसलमान औ़रत का मुसलमान औ़रतों, अपने मह़ारिम और बच्चों के अब्बू की दिलजूई करना बड़े अज्र का बाइ़स है । ऐसा करने से जहां आख़िरत अच्छी होगी, वहीं मुआ़शरे में भी मह़ब्बत भरी बेहतरीन फ़ज़ा क़ाइम होगी । दूसरों की दिलजूई करने का कितना बड़ा सवाब है, आइए ! इस बारे में चन्द अह़ादीसे करीमा सुनती हैं :
1. फ़रमाया : अल्लाह पाक के नज़दीक फ़राइज़ की अदाएगी के बाद सब से अफ़्ज़ल अ़मल मुसलमान के दिल में ख़ुशी दाख़िल करना है । (معجم کبیر ، ۱۱ / ۵۹ ، حدیث : ۱۱۰۷۹)
2. फ़रमाया : बेशक मग़फ़िरत को वाजिब कर देने वाली चीज़ों में से तेरा अपने मुसलमान भाई का दिल ख़ुश करना भी है । (معجم اوسط ، ۶ / ۱۲۹ ، حدیث : ۸۲۴۵)
3. फ़रमाया : مَنْ سَرَّ مُؤْمِنًا فَقَدْسَرَّاللہَ जिस ने किसी मुसलमान को ख़ुश किया, उस ने अल्लाह पाक को राज़ी किया । (حلية الاولياء ، ہارون بن رئاب الاسدی ، ۳ / ۶۶ ، حديث : ۳۱۸۸ ، کتاب المجروحين لابن حبان ، ۲ / ۲۹۷ ، رقم : ۹۷۷)