Book Name:Sadqa ke Fawaid
(Basket) भेजी । मैं ने घर में पूछा : इस में कुल कितने अन्डे हैं ? उन्हों ने कहा : तीस । मैं ने कहा : तुम ने तो फ़क़ीर को चार अन्डे दिए थे, येह तीस किस ह़िसाब से आए ? केहने लगीं : तीस अन्डे साबित हैं और दस टूटे हुवे । (इस की वज्ह येह थी कि) मांगने वाले को जो अन्डे दिए गए थे, उन में तीन साबित और एक टूटा हुवा था । रब्बे करीम ने हर एक के बदले दस दस अ़त़ा फ़रमाए । साबित के बदले साबित और टूटे हुवे के बदले टूटे हुवे । (روض الریاحین ، ص۱۵۱)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن का रब्बे करीम की ज़ात पर भरोसा और इख़्लास के साथ सख़ावत करने का जज़्बा मरह़बा ! अगर हम भी सदक़ा व ख़ैरात करने का जज़्बा बढ़ाना चाहते हैं, तो दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता रहें और जिस से जितना बन पड़े, अपनी दीगर मसरूफ़िय्यात में से कुछ न कुछ वक़्त मदनी कामों के लिए ज़रूर निकालें, इन मदनी कामों में शुमूलिय्यत की बरकत से हम गुनाहों से बचे रहेंगे, आख़िरत के लिए नेकियों का ख़ज़ाना जम्अ़ होता रहेगा, नेकी की दावत देने वाले ख़ुश नसीबों में हमारा शुमार होगा, अच्छी सोह़बत मिलेगी । हर आ़शिके़ रसूल के लिए दावते इस्लामी के मदनी काम करने के बहुत आसान मवाके़अ़ हैं, अगर अब भी हम अ़मली त़ौर पर मदनी कामों में शामिल न हो सकें, तो शायद कई नेकियों से मह़रूमी हो सकती है । इस अ़ज़ीम मदनी मक़्सद "मुझे अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश करनी है" को पाने के लिए भरपूर कोशिश करें, नेकी के कामों में एक दूसरे का साथ दें ।
पीर शरीफ़ का रोज़ा और मदनी इनआ़मात पर अ़मल के फ़वाइद
अपनी इस्लाह़ की कोशिश के लिए मदनी इनआ़मात पर अ़मल और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश के लिए क़ाफ़िलों में सफ़र को अपना मामूल बना लेना चाहिए । ٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मदनी इनआ़मात, अ़मल का जज़्बा बढ़ाने और गुनाहों से पीछा छुड़ाने का बेहतरीन नुस्ख़ा हैं । ٭ मदनी इनआ़मात पर अ़मल करने वालों से अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ बहुत ख़ुश होते और उन्हें दुआ़ओं से नवाज़ते हैं । ٭ मदनी इनआ़मात पर अ़मल की बरकत से ख़ौफे़ ख़ुदा व इ़श्के़ मुस्त़फ़ा की दौलत हाथ आती है । ٭ येह अ़ज़ीम तोह़फ़ा बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की याद दिलाता है । ٭ बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के नक़्शे क़दम पर चलते हुवे ग़ौरो फ़िक्र यानी अपने आमाल का मुह़ासबा करने का बेहतरीन ज़रीआ़ है । इन्ही मदनी इनआ़मात में से "मदनी इनआ़म नम्बर 58" है : क्या आप ने इस हफ़्ते पीर शरीफ़ (या रेह जाने की सूरत में किसी भी दिन) का रोज़ा रखा ? नीज़ इस हफ़्ते कम अज़ कम एक दिन खाने में जव शरीफ़ की रोटी तनावुल फ़रमाई ?
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! फ़र्ज़ रोज़ों के साथ साथ नफ़्ल रोज़ा रखना बहुत बड़ी सआ़दत की बात है । अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने मदनी इनआ़मात में नफ़्ल इ़बादात का शौक़ दिलाते हुवे हर पीर शरीफ़ को रोज़ा रखने की तरग़ीब दिलाई है और اَلْحَمْدُ لِلّٰہ जामिअ़तुल मदीना के त़लबए किराम और दीगर कसीर इस्लामी भाई, इसी त़रह़ जामिआ़तुल मदीना लिल