Faizan e Mushkil Kusha

Book Name:Faizan e Mushkil Kusha

मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! देखा आप ने कि हमारे प्यारे आक़ा, मदीने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने ह़ज़रते सय्यिदुना अ़लिय्युल मुर्तज़ा کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم की कैसी शान बयान फ़रमाई है । इतने इनआमात व

इकरामात के इ़लावा भी अल्लाह पाक ने आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ को बे शुमार ख़ूबियां अ़त़ा फ़रमाई हैं ।

ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन मस्ऊ़द رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं : बेशक क़ुरआने मजीद सात हु़रूफ़ (या'नी लुग़तों) पर उतरा है और इन में से हर ह़र्फ़ का ज़ाहिर भी है और बाति़न भी और अमीरुल मोमिनीन ह़ज़रते सय्यिदुना अ़लिय्युल मुर्तज़ा کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم ऐसे आलिम हैं जिन के पास ज़ाहिरो बाति़न दोनों का इ़ल्म है । (تاریخ ِمدینہ دمشق لابن عساکر، ج۴۲،ص ۴۰۰)

इसी त़रह़ अमीरुल मोमिनीन, इमामुल आदिलीन ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर फ़ारूके़ आ'ज़म رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ इरशाद फ़रमाते हैं : ह़ज़रते अ़लिय्युल मुर्तज़ा کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم को तीन ऐसी फ़ज़ीलतें ह़ासिल हैं कि अगर उन में से एक  भी मुझे नसीब हो जाती, तो वोह मेरे नज़दीक सुर्ख़ ऊटों से भी मह़बूब तर होती । सह़ाबए किराम ने पूछा : वोह तीन फ़ज़ाइल कौन से हैं ? फ़रमाया : (1) अल्लाह पाक के प्यारे ह़बीब, ह़बीबे लबीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अपनी साह़िबज़ादी ह़ज़रते फ़ाति़मतुज़्ज़हरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا को इन के निकाह़ में दिया (2) इन की रिहाइश रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के साथ मस्जिदुन्नबवी शरीफ़ में थी और इन के लिये मस्जिद में वोह कुछ ह़लाल था जो इन्हीं का ह़िस्सा है और (3) ग़ज़वए ख़ैबर में इन को परचमे इस्लाम अ़त़ा फ़रमाया गया । (مُستَدرَک ج۴ ص۹۴ حدیث۴۶۸۹) सय्यिदुना फ़ारूके़ आ'ज़म رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने फ़रमाया कि ह़ज़रते अ़ली (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ) हम में सब से बड़े क़ाज़ी और ह़ज़रते उबय्य बिन का'ब (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ) हम में सब से बड़े क़ारी हैं ।

 (المسند للامام احمد بن حنبل ،ج۸ ،ص۶،ح۲۱۱۴۳, करामाते शेरे ख़ुदा, स. 22)

PB

बयां किस मुंह से हो उस मज्मउ़ल बह़रैन का रुत्बा