Ghos e Pak Ki Shan o Azmat 10th Rabi ul Akhir 1442

Book Name:Ghos e Pak Ki Shan o Azmat 10th Rabi ul Akhir 1442

मालूम हुवा कि उस के इन्तिक़ाल को तीन रोज़ हो चुके हैं । आप عَلَیْہِ السَّلَام ने उस की बहन से फ़रमाया : हमें उस की क़ब्र पर ले चल । वोह ले गई । आप عَلَیْہِ السَّلَام ने अल्लाह पाक से दुआ़ की, तो आ़ज़र ह़ुक्मे इलाही से ज़िन्दा हो कर क़ब्र से बाहर आ गया, मुद्दत तक ज़िन्दा रहा और उस के हां औलाद भी हुई । (2) "एक बुढ़िया का लड़का" जिस का जनाज़ा ह़ज़रते ई़सा عَلَیْہِ السَّلَام के सामने जा रहा था, आप عَلَیْہِ السَّلَام ने उस के लिए दुआ़ फ़रमाई, वोह ज़िन्दा हो कर जनाज़ा उठाने वालों के कन्धों से उतर पड़ा, कपड़े पेहने, घर आ गया, ज़िन्दा रहा और उस के हां औलाद भी हुई । (3) "एक लड़की" जो शाम के वक़्त मरी और अल्लाह पाक ने ह़ज़रते ई़सा عَلَیْہِ السَّلَام की दुआ़ से उस को ज़िन्दा किया । (4) "साम बिन नूह़" जिन की वफ़ात को हज़ारों बरस गुज़र चुके थे, लोगों ने ख़्वाहिश की, कि आप عَلَیْہِ السَّلَام उन को ज़िन्दा करें । चुनान्चे, आप عَلَیْہِ السَّلَام उन की निशान देही से क़ब्र पर पहुंचे और अल्लाह पाक से दुआ़ की । साम ने सुना कि कोई केहने वाला केहता है : "اَجِبْ رُوْحَ اللہ" यानी ह़ज़रते ई़सा عَلَیْہِ السَّلَام की बात सुन । येह सुनते ही वोह मरऊ़ब और ख़ौफ़ज़दा उठ खड़े हुवे और उन्हें गुमान हुवा कि क़ियामत क़ाइम हो गई, उस की दहशत से उन के सर के आधे बाल सफे़द हो गए फिर वोह ह़ज़रते ई़सा عَلَیْہِ السَّلَام पर ईमान लाए और उन्हों ने ह़ज़रते ई़सा عَلَیْہِ السَّلَام से दरख़ास्त की : उन्हें दोबारा सकराते मौत की तक्लीफ़ न हो, इस के बिग़ैर उन्हें वापस किया जाए । चुनान्चे, उसी वक़्त उन का इन्तिक़ाल हो गया । (تفسیر قرطبی، اٰل عمران، تحت الآیة: ۴۹، ۲ / ۷۴، الجزء الرابع، جمل، اٰل عمران، تحت الآیة: ۴۹، ۱ / ۴۱۹-۴۲۰، ملتقطاً)

          उम्मीद है कि शैत़ान का डाला हुवा वस्वसा जड़ से कट गया होगा क्यूंकि मुसलमान का क़ुरआने पाक पर ईमान होता है और वोह ह़ुक्मे क़ुरआने करीम के ख़िलाफ़ कोई दलील तस्लीम करता ही नहीं । बहर ह़ाल अल्लाह पाक अपने मक़्बूल बन्दों को त़रह़ त़रह़ के इख़्तियारात से नवाज़ता है और अल्लाह पाक की अ़त़ा से उन से ऐसी बातें ज़ाहिर होती हैं जो अ़क़्ले इन्सानी की बुलन्दियों से बहुत ऊंची हैं, अल ग़रज़ ! औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के इख़्तियारात की बुलन्दी को दुन्या वालों की परवाज़े अ़क़्ल छू भी नहीं सकती ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

वाह क्या मर्तबा ऐ ग़ौस है बाला तेरा !

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आयते करीमा और उस की तफ़्सीर से पेहले वाली ह़िकायत से जहां अल्लाह पाक की बारगाह में ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का मक़ामो मर्तबा मालूम हुवा, वहीं येह भी पता चला कि जिस शख़्स को अल्लाह वालों से मामूली सी निस्बत भी ह़ासिल हो जाए, उस के तो वारे ही नियारे हो जाते हैं । ज़रा सोचिए कि मद्रसे के क़रीब से गुज़रने वाले शख़्स को ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ से कितनी मामूली सी निस्बत ह़ासिल है मगर इस के बा वुजूद उस पर रह़मते इलाही नाज़िल हो रही है, तो फिर उन ख़ुश नसीबों पर फ़ज़्ले ख़ुदावन्दी का क्या आ़लम होगा जो ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के मुरीदों में शामिल होगा । यक़ीनन ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ पर अल्लाह पाक की ख़ास रह़मतों का साया है । वोह लोग जो ग़ौसे पाक  رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के दामन में आ