Hazrat Musa Ki Shan o Azmat

Book Name:Hazrat Musa Ki Shan o Azmat

मदनी मर्कज़ के दिए गए त़रीके़ कार के मुत़ाबिक़ मुसलमान मय्यितों के ग़ुस्ल व कफ़न और लवाह़िक़ीन की ग़म गुसारी के तमाम मुआ़मलात सर अन्जाम  दे कर सवाब कमाना शामिल है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मजलिसे कफ़न दफ़्न के तह़त वक़्तन फ़ वक़्तन मुल्क व बैरूने मुल्क ज़िम्मेदारान व आ़शिक़ाने रसूल के सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त का भी इन्ए़क़ाद किया जाता है । मजलिसे कफ़न दफ़्न के तह़त तीजे, चालीसवें और बरसी के मौक़अ़ पर सवाब पहुंचाने के इजतिमाअ़ भी किए जाते हैं और इन में रसाइल भी तक़्सीम किए जाते हैं ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मजलिसे कफ़न दफ़्न और मजलिसे आई-टी की कोशिश से आ़शिक़ाने रसूल की आसानी के लिए मोबाइल ऐप्लीकेशन बनाम “ Muslim’s Funeral “ (कफ़न दफ़्न) भी बनाई गई है, जिस में रूह़ निकलने के वक़्त के अहम काम, ग़ुस्ले मय्यित का मुकम्मल त़रीक़ा, कफ़न तय्यार करने का त़रीक़ा, नमाज़े जनाज़ा का त़रीक़ा, क़ब्र बनाने और दफ़्न करने के तमाम मुआ़मलात ब ज़रीआ़ 3D Video सिखाने की कोशिश की गई है । इ़ल्मे दीन सीखने का जज़्बा रखने वाले इस्लामी भाई इस ऐप्लीकेशन को प्ले स्टोर (Play Store) से “ Muslim’s Funeralके नाम से सर्च (Search) कर के इन्स्टाल (Install) कर सकते हैं ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

क़ब्र व दफ़्न के मसाइल व आदाब

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे क़ब्र व दफ़्न के बारे में चन्द मसाइल व आदाब सुनने की सआ़दत ह़ासिल करते हैं । ٭ एक क़ब्र में एक से ज़ियादा बिग़ैर ज़रूरत दफ़्न करना जाइज़ नहीं और ज़रूरत हो, तो कर सकते हैं । (बहारे शरीअ़त, 1 / 846, फ़तावा हिन्दिया, 1 / 166) ٭ जनाज़ा क़ब्र से क़िब्ले की जानिब रखना मुस्तह़ब है ताकि मय्यित क़िब्ले की त़रफ़ से क़ब्र में उतारी जाए । क़ब्र की पाउं की जानिब वाली जगह रख कर सर की त़रफ़ से न लाएं । (बहारे शरीअ़त, 1 / 844) ٭ ज़रूरत के मुत़ाबिक़ दो या तीन और बेहतर येह है कि त़ाक़तवर और नेक आदमी क़ब्र में उतरें । औ़रत की मय्यित मह़ारिम उतारें, येह न हों, तो दीगर रिश्तेदार, येह भी न हों, तो परहेज़गारों से उतरवाएं । (फ़तावा हिन्दिया, 1 / 166) ٭ औ़रत की मय्यित को उतारने से ले कर तख़्ते लगाने तक किसी कपड़े से छुपाए रखें । ٭ क़ब्र में उतारते वक़्त येह दुआ़ पढ़ें : (تنویر الابصار ، ۳ / ۱۶۶)بِسْمِ اللہِ وَبِاللہِ وَعَلٰی مِلَّۃِ  رَسُوْلِ اللہ ٭ मय्यित को सीधी करवट पर लिटाएं और उस का मुंह क़िब्ले की त़रफ़ कर दें और कफ़न की बन्दिश खोल दें कि अब ज़रूरत नहीं, न खोली तो भी ह़रज नहीं । (फ़तावा हिन्दिया, 1 / 166, جوہرہ ، ص۱۴۰) ٭ कफ़न की गिरह खोलने वाला येह दुआ़ पढ़े : اَللّٰہُمَّ لَا تَحْرِمْنَا اَجْرَہٗ وَلَا تَفْتِنَّا بَعْدَہٗ ऐ अल्लाह पाक ! हमें इस के सवाब से मह़रूम न कर और हमें इस के बाद फ़ितने में न डाल । (حاشیۃ طحطاوی ، ص۶۰۹) ٭ क़ब्र कच्ची ईंटों से बन्द कर दीजिए, अगर ज़मीन नर्म हो, तो (लक्ड़ी के) तख़्ते लगाना भी जाइज़ है । (बहारे शरीअ़त, 1 / 844) ٭ अब मिट्टी दी जाए, मुस्तह़ब येह है कि सिरहाने की त़रफ़ से दोनों हाथों से 3 बार मिट्टी डालिए । पेहली बार कहें : مِنْھَا خَلَقْنٰکُمْ दूसरी बार وَ فِیْھَا نُعِیْدُکُمْ तीसरी बार وَ مِنْھَا نُخْرِجُکُمْ تَارَۃً