Book Name:Hazrat Musa Ki Shan o Azmat
ले कर मेरे मुंह में कुल्ली कर दे । मगर जब तक वोह पानी इसराईली औ़रत के मुंह में रहा पानी था, जब फ़िरऔ़नी औ़रत के मुंह में पहुंचा, तो ख़ून हो गया । फ़िरऔ़न ख़ुद प्यास से बेचैन हुवा, तो उस ने तर दरख़्तों की रत़ूबत चूसी, वोह रत़ूबत मुंह में पहुंचते ही ख़ून हो गई । सात रोज़ तक ख़ून के सिवा कोई चीज़ पीने की न मिली, तो फिर ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام से दुआ़ की दरख़ास्त की और ईमान लाने का वादा किया । ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام ने दुआ़ फ़रमाई, येह मुसीबत भी दूर हुई मगर वोह ईमान फिर भी न लाए । (تفسیربغوی ، الاعراف ، تحت الآیۃ : ۱۳۳ ، ۲ / ۱۵۹-۱۶۱)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
72 मदनी इनआ़मात के रिसाले की तरग़ीब
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ٭ मदनी इनआ़मात पर अ़मल करते हुवे रोज़ाना मुह़ासबा करना, बद गुमानी और दीगर गुनाहों की आफ़त से पीछा छुड़ाने का इन्तिहाई मुफ़ीद और बा असर नुस्ख़ा है । ٭ मदनी इनआ़मात के मुत़ाबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारने वाला फ़ुज़ूलिय्यात से मह़फ़ूज़ रहेगा । ٭ हमारे गुनाहों का इ़लाज ग़ौरो फ़िक्र है । ٭ क़ाफ़िले और मदनी इनआ़मात इ़बादत ही इ़बादत हैं । ٭ चल मदीना के क़ाफ़िले की सौग़ात हैं । ٭ मदनी इनआ़मात पर अ़मल और रोज़ाना ग़ौरो फ़िक्र की बरकत से इन्सान गुनाहों से बचता है । ٭ मदनी इनआ़मात में बहुत जामिइ़य्यत है । ٭ इस में रिज़ाए इलाही के अस्बाब हैं । ٭ मदनी इनआ़मात का हर सुवाल गोया अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की इनफ़िरादी कोशिश है । ٭ रोज़ाना ग़ौरो फ़िक्र करना, मदनी इनआ़मात पर अ़मल करने की चाबी है । ٭ मदनी इनआ़मात तसव्वुफ़ व रूह़ानियत का मजमूआ़ हैं । लिहाज़ा हमें भी चाहिए कि मक्तबतुल मदीना के स्टाल से मदनी इनआ़मात के रिसाले को त़लब कर के इन के मुत़ाबिक़ अ़मल करते हुवे ग़ौरो फ़िक्र करने को अपनी ज़िन्दगी का एक लाज़िमी ह़िस्सा बना लें कि बिला शुबा आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल में इस्लामी भाइयों और इस्लामी बहनों की एक कसीर तादाद ऐसी है जिन की ज़िन्दगी में इन मदनी इनआ़मात ने इन्क़िलाब पैदा कर दिया है । चुनान्चे,
मुल्के मुर्शिद के एक इस्लामी भाई ने पिछले 12 साल से एक मरतबा भी मदनी इनआ़मात का रिसाला जम्अ़ करवाने में नाग़ा नहीं किया बल्कि पिछले डेढ़ साल में कोई दिन ऐसा नहीं गुज़रा कि उन्हों ने ग़ौरो फ़िक्र न की हो । चुनान्चे, मदनी इनआ़मात पर अ़मल की बरकत से न सिर्फ़ उन्हें सूरए मुल्क ज़बानी याद हो चुकी है बल्कि अल्लाह पाक के फ़ज़्लो करम से उन्हें कई बार ख़्वाब में अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के दीदार की सआ़दत भी मिल चुकी है और اَلْحَمْدُ لِلّٰہ वोह डिवीज़न ज़िम्मेदार की ह़ैसिय्यत से मदनी कामों की धूमें मचाने में मसरूफ़ हैं ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी इस वक़्त 108 से ज़ाइद शोबाजात के ज़रीए़ दुन्या भर में दीन का पैग़ाम आ़म कर रही है, इन्ही शोबाजात में से एक शोबा “ मजलिसे कफ़न दफ़्न “ भी है । इस मजलिस के कामों में शरीअ़त और