Siddique e Akbar Ki Sakhawat

Book Name:Siddique e Akbar Ki Sakhawat

5﴿...किस किस रिश्तेदार से कब कब मिले ?

          मह़ारिम रिश्तेदारों से वक्फ़ा दे कर मिलती रहे कि इस से मह़ब्बतो उल्फ़त ज़ियादा होती है बल्कि मह़ारिम क़राबत दारों से जुम्आ़ जुम्आ़ मिलती रहे या महीने में एक बार और तमाम क़बीले और ख़ानदान को मुत्तह़िद होना चाहिए, जब ह़क़ उन के साथ हो, यानी वोह ह़क़ पर हों, तो दूसरों से मुक़ाबला और ह़क़ को ज़ाहिर करने में सब मुत्तह़िद हो कर काम करें । (کتاب الدُرَر الحکام،۱/۳۲۳)

6﴿...रिश्तेदार ह़ाजत पेश करे, तो रद्द कर देना गुनाह है

          जब अपना कोई मह़रम रिश्तेदार कोई ह़ाजत पेश करे, तो उस की ह़ाजत पूरी करे, उस को रद्द कर देना (यानी ह़ैसिय्यत होने के बा वुजूद मदद न करना) रिश्ता तोड़ना है । (کتاب الدُرَر الحکام،۱/۳۲۳) (याद रहे ! मह़ारिम रिश्तेदारों से अच्छा सुलूक करना वाजिब है और रिश्ता तोड़ना गुनाह, ह़राम और दोज़ख़ में ले जाने वाला काम है) ।

7﴿...सिलए रेह़्म येह है कि वोह तोड़े, तब भी तुम जोड़ो

          मह़ारिम रिश्तेदारों के साथ अच्छा सुलूक इसी का नाम नहीं कि वोह सुलूक करे, तो तुम भी करो, येह चीज़ तो ह़क़ीक़त में अदला बदला (Reciprocation) करना है कि उस ने तुम्हारे पास चीज़ भेज दी, तुम ने उस के पास भेज दी, वोह तुम्हारे यहां आया, तुम उस के पास चले गए । ह़क़ीक़त में रिश्तेदारों के साथ अच्छा सुलूक येह है कि वोह काटे और तुम जोड़ो, वोह तुम से जुदा होना चाहता है, ला परवाई करता है और तुम उस के साथ रिश्ते के ह़ुक़ूक़ की रिआ़यत करो । (رَدُّالْمُحتار،۹/۶۷۸)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

अच्छा गुमान रखने का त़रीक़ा

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बयान कर्दा सातों मस्अले निहायत तवज्जोह के क़ाबिल हैं, बिल ख़ुसूस सातवां मस्अला जिस में "अदले बदले" का