Book Name:Shetan Ki Insan Se Dushmani
Ø हर माह के तीसरे जुम्ए़ को 3 दिन के क़ाफ़िले में सफ़र करने वालों के लिए दुआ़ करते हैं : ऐ मालिके करीम ! जो कोई ई़सवी माह के तीसरे जुम्ए़ को क़ाफ़िले में 3 दिन के लिए सफ़र पर रवाना हो, उस को जन्नतुल फ़िरदौस में अपने मदनी ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का पड़ोस अ़त़ा फ़रमा ।
Ø हर माह के चौथे जुम्ए़ को 3 दिन के क़ाफ़िले में सफ़र करने वालों के लिए दुआ़ करते हैं : रब्बे करीम ! जो कोई अंग्रेज़ी माह के चौथे जुम्ए़ को तीन दिन के क़ाफ़िले में सफ़र इख़्तियार करे, उसे शफ़ाअ़त फ़रमाने वाले मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की शफ़ाअ़त बरोज़े क़ियामत नसीब फ़रमा ।
Ø किसी माह का पांचवां जुम्आ़ होने की सूरत में 3 दिन के क़ाफ़िले में सफ़र करने वालों के लिए दुआ़ करते हैं : या अल्लाह पाक ! जो कोई अंग्रेज़ी माह का पांचवां जुम्आ़ होने की सूरत में उस दिन क़ाफ़िले में सफ़र करे, उस पर दोज़ख़ ह़राम कर दे ।
Ø 12 माह तक 3 दिन के क़ाफ़िलों के मुसाफ़िरों के लिए दुआ़ करते हैं : या रब्बल मुस्त़फ़ा ! जो कोई कम अज़ कम 12 माह तक हर माह 3 दिन के क़ाफ़िले में सफ़र करे, उस को अपनी ज़ात के सिवा किसी का मोह़ताज न फ़रमा । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! अल्लाह पाक को राज़ी करने, इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने और सवाब के लिए क़ाफ़िलों में सफ़र कीजिए ताकि सवाब भी मिले । क़ाफ़िले में सफ़र से कभी ज़िमनन दुन्यवी फ़वाइद भी ह़ासिल हो जाते हैं । आइए ! तरग़ीब के लिए क़ाफ़िले की बरकत पर मुश्तमिल एक वाक़िआ़ सुनते हैं । चुनान्चे,
एक बुज़ुर्ग इस्लामी भाई तक़रीबन 19 साल से सांस के मरज़ में मुब्तला थे, बसा अवक़ात मरज़ की शिद्दत की वज्ह से उन्हें शदीद तक्लीफ़ का सामना करना पड़ता, कभी आधी रात को त़बीअ़त बिगड़ जाती, तो उसी वक़्त डॉक्टर (Doctor) के पास जाना पड़ता, अल ग़रज़ ! इ़लाज में कोई कमी न छोड़ी जाती । उन की ख़ुश क़िस्मती कि एक मरतबा आ़शिक़ाने रसूल के हमराह तीन दिन के क़ाफ़िले में सफ़र की सआ़दत ह़ासिल हुई, क़ाफ़िले की बरकत से उन के दिन रात इ़बादते इलाही में गुज़रे, इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने का मौक़अ़ मिला और वहीं उन्हें दीगर बरकात भी नसीब हुईं । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ क़ाफ़िले के दौरान उन्हें न ही इन्जेक्शन की ह़ाजत पेश आई और न ही किसी डॉक्टर के पास जाना पड़ा बल्कि वहां ऐसा इत़मीनान और सुकून मिला कि जो इस से पेहले कभी न मिला था । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ क़ाफ़िले की बरकत से उन के 19 साल पुराने मरज़ में वाज़ेह़ कमी आ गई ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد