Book Name:Shetan Ki Insan Se Dushmani
मुझे दबा रखा है, तू इन के मुक़ाबले में मुझे काम्याबी अ़त़ा फ़रमा, मुझे नेक बना दे, आ़जिज़ी का पैकर बना दे ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! शैत़ान के मक्रो फ़रेब और दीगर गुनाहों से बचने का एक और बेहतरीन ज़रीआ़ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो कर ख़िदमते दीन के कामों में मश्ग़ूल हो जाना भी है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी दुन्या भर में कमो बेश 108 शोबाजात के ज़रीए़ ज़िन्दगी के मुख़्तलिफ़ शोबाजात से तअ़ल्लुक रखने वाले मुसलमानों की इस्लाह़ की कोशिश कर रही है, इन्ही में से एक "मजलिसे तराजिम" भी है । इस मजलिस के तह़्त अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ और मक्तबतुल मदीना की कुतुबो रसाइल, माहनामा फै़ज़ाने मदीना, हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त और दीगर शोबाजात से मिलने वाले तन्ज़ीमी मवाद का तर्जमा किया जाता है । इस मजलिस के तह़्त अब तक 1600 से ज़ाइद कुतुबो रसाइल का मुख़्तलिफ़ ज़बानों में तर्जमा किया जा चुका है, यूं दुन्या की दीगर ज़बानें बोलने वाले करोड़ों लोग भी इन कुतुबो रसाइल से फै़ज़याब हो रहे हैं । आप भी मक्तबतुल मदीना की इन कुतुबो रसाइल को ख़ुद भी पढ़िए और दूसरों को भी पढ़ने की तरग़ीब दिलाइए । ह़स्बे तौफ़ीक़ तक़्सीमे रसाइल भी कीजिए, اِنْ شَآءَ اللہ इस की ढेरों ढेर बरकतें नसीब होंगी । अल्लाह करीम मजलिसे तराजिम को मज़ीद लगन के साथ इस अ़ज़ीमुश्शान काम को आगे से आगे बढ़ाने की सआ़दत नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइए ! अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "ज़िन्दा बेटी कुंवें में फेंक दी" के सफ़ह़ा नम्बर 20 से तावीज़ात के चन्द आदाब व मसाइल सुनते हैं : ٭ क़ुरआनी आयत पढ़ने के लिए ह़ैज़ व निफ़ास व जनाबत से पाक होना ज़रूरी है और आयत का तावीज़ लिखने में भी पाकी की ह़ालत का लाज़िमी त़ौर पर ख़याल रखे । जिन पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ नहीं, वोह बे वुज़ू बिग़ैर छूए देख कर या ज़बानी आयत पढ़ सकते हैं मगर बे वुज़ू आयत का तावीज़ लिखना इन के लिए भी जाइज़ नहीं । इसी त़रह़ इन सब को ऐसा तावीज़ छूना या ऐसी अंगूठी छूना या पेहनना जैसे मुक़त़्त़आ़त (मसलन طٰہٰ, یٰسٓ वग़ैरा) की अंगूठी ह़राम है । ٭ अगर आयत का तावीज़ कपड़े, रेगज़ीन या चमड़े वग़ैरा में सिला हुवा हो, तो बे ग़ुस्लों और बे वुज़ू सब के लिए इस का छूना, पेहनना जाइज़ है । ٭ तावीज़ हमेशा इस त़रह़ लिखिए कि हर दाइरे वाले ह़र्फ़ की गोलाई खुली रहे, यानी इस त़रह़ : ط، ظ، ہ، ھ، ص، ض، و، م، ف، ق वग़ैरा । ٭ आयात वग़ैरा में एराब (यानी ज़ेर, ज़बर, पेश वग़ैरा) लगाना ज़रूरी नहीं । ٭ पेहनने का तावीज़ हमेशा वॉटर प्रूफ़ इंक मसलन बॉल प्वॉइंट से