Book Name:Shetan Ki Insan Se Dushmani
लिखिए । ٭ तावीज़ लपेटने से पेहले पढ़िए : بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ وَ صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد نُوۡرٌ مِّنۡ نُوْرِ اللّٰہ ٭ आला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ तावीज़ लपेटने में सीधी त़रफ़ से पहल फ़रमाते थे । ٭ पेहनने वालों को चाहिए कि पसीने और पानी वग़ैरा के असर से बचाने के लिए तावीज़ को मोमजामा कर लें (यानी मोम में तर किए हुवे कपड़े का टुक्ड़ा लपेट लें) या पिलास्टिक कोटिंग कर लें फिर कपड़े, रेगज़ीन या चमड़े वग़ैरा में सी लें । ٭ सोने, चांदी या किसी भी धात (Metal) की डिब्या में तावीज़ पेहनना मर्द को जाइज़ नहीं । ٭ इसी त़रह़ धात की ज़न्जीर (Metal Chain) पेहनना ख़्वाह उस में तावीज़ हो या न हो, मर्द के लिए गुनाह है । ٭ सोने, चांदी और स्टील वग़ैरा किसी भी धात (Metal) की तख़्ती या कड़ा जिस पर कुछ लिखा हो या न लिखा हो या चाहे अल्लाह पाक का मुबारक नाम या कलिमए त़य्यिबा वग़ैरा खुदाई किया हुवा हो, उस का पेहनना मर्द के लिए नाजाइज़ है । ٭ औ़रत सोने, चांदी की डिब्या में तावीज़ पेहन सकती है । ٭ जिस बरतन, पियाले या प्लेट वग़ैरा पर क़ुरआनी आयत लिखी हो उस का इस्तिमाल मक्रूह है, अलबत्ता ब निय्यते शिफ़ा उस में पानी वग़ैरा पी सकते हैं लेकिन बे वुज़ू या बे ग़ुस्ले और ह़ैज़ व निफ़ास वाली औ़रत को आयत वाला बरतन छूना ह़राम है । (बहारे शरीअ़त, 1 / 327, मुलख़्ख़सन) आयत वाले बरतन का पानी किसी ना बालिग़ बच्चे वग़ैरा ने किसी और बरतन में निकाल कर दिया, तो हर त़रह़ के मरीज़ व ग़ैरे मरीज़ सभी पी सकते हैं ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد