Khof e Khuda Main Rone Ki Ahamiyat

Book Name:Khof e Khuda Main Rone Ki Ahamiyat

ज़मीनो आसमान की कोई चीज़ उस से छुपी नहीं है । ٭ वोह ऐसा "अ़ज़ीम" है कि किसी भी गुनाह को मुआ़फ़ करना उस के लिए दुशवार नहीं है ।

          मुस्लिम शरीफ़ की ह़दीसे पाक है : ह़ज़रते सलमान رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से मरवी है, मक्की मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने अ़ज़मत निशान है : अल्लाह पाक ने ज़मीनो आसमान की पैदाइश के दिन सौ रह़मतें पैदा फ़रमाईं, हर रह़मत ज़मीनो आसमान के दरमियान एक के ऊपर एक रख दी गई है, उन में से एक रह़मत ज़मीन पर उतरी, उसी से वालिदा अपनी औलाद पर, जंगली दरिन्दे और परिन्दे एक दूसरे पर मेहरबान होते हैं, यहां तक कि घोड़ा अपना पाउं अपने बच्चे से दूर कर लेता है कि कहीं उसे चोट न लग जाए । जब क़ियामत का दिन होगा, तो अल्लाह पाक उस रह़मत को दूसरी निन्नानवे रह़मतों में मिला कर सौ मुकम्मल फ़रमा देगा और क़ियामत के दिन इस से अपने बन्दों पर रह़म फ़रमाएगा । (مسلم ، کتاب التوبۃ ، باب فی سعۃ رحمۃ اللہ۔ ۔ ۔ الخ ، ص۱۱۲۹ ،  حدیث : ۶۹۷۷)

          आइए ! रब्बे करीम की रह़मत पर मुश्तमिल एक ईमान अफ़रोज़ रिवायत व ह़िकायत सुनती हैं ।

रब्बे करीम की इ़नायतें और नवाज़िशें !

          बुख़ारी शरीफ़ में है : ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं, अल्लाह पाक के रसूल صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : क़ियामत के दिन जब अल्लाह पाक बन्दों के मुक़द्दमात से फ़ारिग़ हो जाएगा, तो एक आदमी जो जन्नत और दोज़ख़ के दरमियान (Between) रेह जाएगा, वोह दोज़ख़ियों में आख़िरी शख़्स होगा जो जन्नत में जाएगा । जन्नत में दाख़िल होने से पेहले उस का मुंह दोज़ख़ की त़रफ़ होगा और वोह अ़र्ज़ करेगा : ऐ मेरे मालिक ! मेरा मुंह दोज़ख़ से फेर दे क्यूंकि मुझे उस की बदबू ने मार दिया है और उस के शोलों ने मुझे जला डाला है । अल्लाह पाक फ़रमाएगा : अगर तेरे साथ येह एह़सान कर दिया जाए, तो इस के इ़लावा कुछ और तो नहीं मांगेगा ? वोह बन्दा अ़र्ज़ करेगा : तेरी इ़ज़्ज़त की क़सम ! मैं कुछ नहीं मांगूंगा । अल्लाह पाक उस का मुंह दोज़ख़ से हटा देगा । जब वोह बन्दा जन्नत की त़रफ़ मुंह करेगा, तो जन्नत की तरो ताज़गी को देखने लगेगा । जब तक अल्लाह पाक चाहेगा वोह ख़ामोश रहेगा । फिर अ़र्ज़ करेगा : ऐ मेरे मालिक ! मुझे जन्नत के दरवाज़े से क़रीब कर दे । अल्लाह पाक उस से फ़रमाएगा : क्या तू ने वादा नहीं किया था कि तू जो कुछ मांग चुका है, अब उस के इ़लावा कोई सुवाल नहीं करेगा ? वोह अ़र्ज़ करेगा : इलाही ! मैं तेरी मख़्लूक़ में सब से ज़ियादा बद नसीब नहीं होना चाहता । अल्लाह पाक फ़रमाएगा : हो सकता है कि अगर तुझे येह भी मिल जाए, तू फिर कोई सुवाल करे ? वोह अ़र्ज़ करेगा : ऐ मालिक ! मुझे तेरी इ़ज़्ज़त की क़सम ! अब मैं कुछ नहीं मांगूंगा । फिर अल्लाह पाक उस को जन्नत के क़रीब कर देगा, जब वोह जन्नत के दरवाज़े के क़रीब पहुंच जाएगा और जन्नत की तरो ताज़गी और लज़्ज़त को मह़सूस करेगा फिर जब तक अल्लाह पाक चाहेगा वोह ख़ामोश रहेगा । फिर वोह कहेगा : ऐ मेरे मालिक ! मुझे जन्नत में दाख़िल फ़रमा दे । अल्लाह पाक फ़रमाएगा : ऐ इबने आदम ! अफ़्सोस ! तू किस क़दर वादे को तोड़ने वाला है ! क्या तू ने येह वादा नहीं किया था कि जो कुछ तुझे मिल चुका है उस से ज़ियादा कुछ नहीं मांगेगा ? वोह अ़र्ज़ करेगा : मालिक ! तू मुझे अपनी मख़्लूक़ में सब से ज़ियादा बदबख़्त मत बना । फिर अल्लाह पाक उसे जन्नत में जाने की इजाज़त अ़त़ा फ़रमाएगा और