Achy amaal ki barkaten

Book Name:Achy amaal ki barkaten

जैसा करोगे, वैसा भरोगे

          प्यारे आक़ा, मदीने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : اَ لْبِرُّ لَا یَبْلَی وَالْاِ ثْمُ لَا یُنْسَی وَالدَّیَّانُ لَا یَمُوتُ فَکُنْ کَمَا شِئْتَ کَمَا تَدِینُ تُدَانُ नेकी पुरानी नहीं होती और गुनाह भुलाया नहीं जाता, जज़ा देने वाला (यानी अल्लाह पाक) कभी फ़ना नहीं होगा, लिहाज़ा जो चाहो बन जाओ, तुम जैसा करोगे, वैसा भरोगे । (مصنف عبدالرزاق،کتاب الجامع،باب الاغتیاب والشتم،۱۰ / ۱۸۹،حدیث: ۲۰۴۳۰) ह़ज़रते अ़ल्लामा अ़ब्दुर्रऊफ़ मनावी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : यानी जैसा तुम काम करोगे, वैसा तुम्हें उस का बदला मिलेगा, जो तुम किसी के साथ करोगे, वोही तुम्हारे साथ होगा । (التیسیر ،۲/۲۲۲)

दूसरों के साथ अच्छा बरताव कीजिए

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! हमें चाहिए कि ٭ किसी को तक्लीफ़ न दें । ٭ किसी की चीज़ न चुराएं । ٭ किसी की चीज़ पर बिला इजाज़ते शरई़ क़ब्ज़ा न करें । ٭ किसी को धोका न दें । ٭ किसी पर झूटा इल्ज़ाम न लगाएं । ٭ किसी का क़र्ज़ न दबाएं । ٭ किसी की घरेलू ज़िन्दगी ख़राब न करें । ٭ किसी के बारे में बद गुमानियां न फैलाएं । ٭ किसी का दिल न दुखाएं । ٭ किसी की पीठ पीछे बुराइयां न करें । ٭ किसी का मज़ाक़ उड़ा कर उस की इ़ज़्ज़त का जनाज़ा न निकालें । ٭ साज़िशें कर के किसी की तरक़्क़ी में रोड़े न अटकाएं । ٭ और किसी की बुराइयां लोगों में फैला कर उसे बदनाम न करें क्यूंकि आज हम किसी के साथ जैसा सुलूक करेंगी, कल को वोही हमारे साथ भी हो सकता है ।

          इस के बजाए अगर हम हर एक की इ़ज़्ज़त का तह़फ़्फ़ुज़ करें, हर अमानत का तह़फ़्फ़ुज़ करें और वक़्त पर वापस लौटाएं, हर एक से सच बोलें, हर एक का एह़तिराम करें, हर एक के बारे में अच्छा गुमान रखें, हर एक की ख़ैर ख़्वाही करें, तो कुछ बई़द नहीं कि हम से भी हर एक येही बरताव करने लगे । याद रखिए ! जिस त़रह़ बुरा अ़मल, बुराई के दरवाज़े खोल देता है, इसी त़रह़ अच्छा अ़मल अच्छाई की कई सूरतें बना देता है और आख़िरे कार अच्छे अ़मल की जज़ा ज़रूर मिलती है ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

रोज़ाना अच्छे आमाल करने का नुस्ख़ा !

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं, इन सांसों को ग़नीमत जानते हुवे नेकियों के ज़रीए़ अपनी आख़िरत बेहतर बनाने में लग जाना चाहिए, सांसों की येह माला न जाने कब अचानक टूट कर बिखर जाए, ख़ुदा न ख़ास्ता हमें गुनाहों से तौबा का वक़्त भी न मिल सके और हमारी आख़िरत बरबाद हो जाए । लिहाज़ा हमें भी अपनी आख़िरत बेहतर बनाने के लिए रोज़ाना कुछ न कुछ अच्छे आमाल करने का हदफ़ (Target) बना लेना चाहिए ताकि नेक आमाल की आ़दत बन सके । इस का आसान त़रीक़ा येह है कि अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ मदनी इनआ़मात पर अ़मल और रोज़ाना ग़ौरो फ़िक्र करते हुवे मदनी इनआ़मात का रिसाला पुर कीजिए ।