Book Name:Moasharay Ki Islah
का ज़िक्र करना जो उस में मौजूद हो "ग़ीबत" केहलाता है । ग़ीबत की नुह़ूसत में से येह भी है कि येह बुरे ख़ातिमे का सबब है, कसरत से ग़ीबत करने से दुआ़ क़बूल नहीं होती, ग़ीबत से नमाज़, रोज़े की नूरानिय्यत चली जाती है ।
चुग़ली
इसी त़रह़ चुग़ली का भी मुआ़शरे की तबाही में बड़ा बुरा किरदार है । लोगों में फूट डलवाने के लिए उन की बातें एक दूसरे तक पहुंचाना "चुग़ली" केहलाता है । (شرح مسلم للنووی، ۲/ ۱۱۲) चुग़ली के सबब भी घरों की बरबादी, आपस में नाराज़ियां और बुग़्ज़ो कीना पैदा होता है । चुग़ली करने वालों को अल्लाह पाक भी पसन्द नहीं फ़रमाता ।
गाली गलोच
चुग़ली की त़रह़ "गाली गलोच" भी हमारे मुआ़शरे में बढ़ते हुवे बुरे कामों में से एक निहायत बुरा काम है, इस से भी फ़ितने जन्म लेते हैं, मसलन आपस में नफ़रतें पैदा होती हैं, लड़ाइयां और बहुत सी तबाहकारियां सामने आती हैं । नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : मुसलमान को गाली देना ख़ुद को हलाकत में डालने की त़रह़ है । (الترغیب والترھیب،کتاب الادب،۳/۳۱۱،حدیث:۴۲۶۳)
ह़सद
इसी त़रह़ ह़सद भी निहायत बुरी आ़दत, गुनाह और मुआ़शरे को ख़राब कर देने वाला काम है । किसी के पास कोई नेमत देख कर तमन्ना करना कि काश ! इस से येह नेमत छिन कर मुझे ह़ासिल हो जाए "ह़सद" केहलाता है । (बुरे ख़ातिमे के अस्बाब, स. 13, मुलख़्ख़सन) ह़सद करने वाली की सारी ज़िन्दगी जलन और घुटन की आग में जलती रेहती है, उसे चैनो सुकून नसीब नहीं होता, ह़सद नेकियों को इस त़रह़ खा जाता है, जैसे आग लक्ड़ी को ।
तकब्बुर
यूंही तकब्बुर (Arrogance) को देखा जाए, तो इस के सबब भी अल्लाह पाक और रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की नाराज़ी, मख़्लूक़ की बेज़ारी, मैदाने मह़शर में ज़िल्लतो रुस्वाई, रब्बे करीम की रह़मत और इनआ़माते जन्नत से मह़रूमी और दोज़ख़ की ह़क़दारी जैसे बड़े बड़े नुक़्सानात का सामना हो सकता है । ख़ुद को अफ़्ज़ल और दूसरों को कम तर जानने का नाम "तकब्बुर" है । (तकब्बुर, स. 16) नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जिस के दिल में राई के दाने जितना भी तकब्बुर होगा, वोह जन्नत में दाख़िल न होगा । (مسلم،کتاب الایمان،باب تحریم الکبروبیانہ،ص۶۱،حدیث:۲۶۶)