Book Name:Har Simt Chaya Noor Hay 12th-Shab-1441
अपने नूरे नुबुव्वत से मुनव्वर (रौशन) किया । ٭ ह़क़ीक़त येह है कि आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का वुजूदे मुबारक ऐसा आफ़्ताबे आ़लम ताब है जिस ने हज़ारहा आफ़्ताब बना दिए (यानी आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का मुबारक वुजूद जहान को रौशन करता ऐसा सूरज है जिस ने हज़ारों आफ़्ताब रौशन किए) । (तफ़्सीरे ख़ज़ाइनुल इ़रफ़ान, पा. 22, अल अह़ज़ाब : 45-46, स. 784, बित्तग़य्युर)
٭ पारह 18, सूरतुन्नूर की आयत नम्बर 35 में इरशाद होता है :
اَللّٰهُ نُوْرُ السَّمٰوٰتِ وَ الْاَرْضِؕ-مَثَلُ نُوْرِهٖ كَمِشْكٰوةٍ فِیْهَا مِصْبَاحٌؕ (پ۱۸،النور:۳۵)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : अल्लाह आसमानों और ज़मीनों को रौशन करने वाला है, उस के नूर की मिसाल ऐसी है जैसे एक त़ाक़ हो जिस में चराग़ है ।
इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : इस आयत में "مَثَلُ نُوۡرِہٖ" से मुराद ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ हैं । (تفسیرکبیر،۸/۳۴)
٭ पारह 30, सूरतुल फ़ज्र की आयत नम्बर 1 और 2 में इरशाद होता है :
وَ الْفَجْرِۙ(۱) وَ لَیَالٍ عَشْرٍۙ(۲)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : सुब्ह़ की क़सम और दस रातों की ।
इस आयते मुबारका की तफ़्सीर में लिखा है : "وَ الْفَجْرِ" से मुराद नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ हैं, इस लिए कि ईमान का उजाला दुन्या भर में आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से ज़ाहिर हुवा । (शिफ़ा शरीफ़, 1 / 34) इसी त़रह़ पारह 30, सूरतुत़्त़ारिक़ की आयत नम्बर 1 ता 3 में इरशाद होता है :
وَ السَّمَآءِ وَ الطَّارِقِۙ(۱) وَ مَاۤ اَدْرٰىكَ مَا الطَّارِقُۙ(۲) النَّجْمُ الثَّاقِبُۙ(۳) (پ۳۰،الطارق: ۱،۲،۳)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : आसमान की और रात को आने वाले की क़सम और तुम्हें क्या मालूम कि रात को आने वाला क्या है ? ख़ूब चमकने वाला सितारा है ।