Book Name:Har Simt Chaya Noor Hay 12th-Shab-1441
उस से नूर निकलता है । इसी त़रह़ चराग़, लालटेन (lantern) वग़ैरा को भी नूर केह दिया जाता है । (रिसालए नूर मअ़ रसाइले नइ़मिया, स. 4, बित्तग़य्युर)
नूर की दो क़िस्में हैं : (1) नूरे ह़िस्सी (2) नूरे अ़क़्ली । नूरे ह़िस्सी : उस नूर को केहते हैं जो आंखों से नज़र आए, जैसे धूप, चराग़ और बिजली वग़ैरा की रौशनी । नूरे अ़क़्ली : उस नूर को केहते हैं जो आंखों से मह़सूस तो न किया जा सके मगर अ़क़्ल कहे कि येह नूर है । इसी माना में इस्लाम को, हिदायत को और इ़ल्म को नूर कहा जाता है । (रिसालए नूर मअ़ रसाइले नइ़मिया, स. 4, बित्तग़य्युर)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमारे प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की नूरानिय्यत ऐसी है जो अ़क़्लन भी साबित है और कई सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की नूरानिय्यत का अपनी आंखों से जल्वा भी देखा है । हमारे नूर वाले आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के नूर होने से मुतअ़ल्लिक़ अ़क़्ली दलाइल देते हुवे ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के जिस्मे अक़्दस का साया न होना भी आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के नूर होने की अ़लामत है । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के जिस्मे अत़्हर से ऐसी ख़ुश्बू का ज़ाहिर होना कि कूचे और गलियां महक जाएं, येह भी नूरानिय्यत ही के बाइ़स है । मेराज शरीफ़ में आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के जिस्म शरीफ़ का आग और ज़महरीर (हवा में मौजूद सख़्त सर्दी के मक़ाम) से गुज़र जाना और कुछ असर न होना, येह भी आप عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام की नूरानिय्यत के बाइ़स है । इसी त़रह़ आसमानों की सैर फ़रमाना जहां हवा नहीं, वहां भी आप (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) का ज़िन्दा रेहना, येह भी इसी वज्ह से है कि ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ नूर हैं । इसी त़रह़ शर्ह़े सद्र (सीनए मुबारक खुलने) के वक़्त सीनए