Book Name:Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat
(ترمذی،کتاب المناقب،باب فی من سبَّ اصحاب النبی،۵/ ۴۶۴ ،حدیث:۳۸۹۱)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! यक़ीनन सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की शान बहुत बुलन्दो बाला है । कोई भी नमाज़ व रोज़ा व दीगर नेक आ'माल के ज़रीए़ इन के मक़ामो मर्तबे को हरगिज़ हरगिज़ नहीं पा सकता । ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन मस्ऊ़द رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं : (ऐ लोगो !) तुम नमाज़, रोज़ा और इज्तिहाद में सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان से बढ़ना चाहते हो ! (याद रखो ! ऐसा नहीं हो सकता क्यूंकि) वोह तुम से बेहतर हैं । लोगों ने अ़र्ज़ की : ऐ अबू अ़ब्दुर्रह़मान رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ! इस की क्या वज्ह है ? इरशाद फ़रमाया : वोह दुन्या में सब से ज़ियादा ज़ोह्द इख़्तियार करते और आख़िरत में सब से बढ़ कर रग़बत रखते (इस लिये तुम्हारे आ'माल अगर उन से ज़ियादा हो भी जाएं, तब भी अज्रो सवाब में कम ही रहेंगे) ।
(مصنف ابن ابی شیبة،کتاب الزہد،کلام ابن مسعود ،ج۸، ص۱۶۲، الحدیث۳۵)
एक दिन अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ली رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़ज्र की नमाज़ पढ़ कर बे क़रारी के साथ हाथ मलते हुवे मस्जिद से बाहर निकले और फ़रमाया कि मैं ने ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सह़ाबा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم को जिस ह़ाल में देखा है, आज मैं किसी आदमी में उन की मुशाबहत का असर नहीं देखता । सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم रात भर जाग कर नमाज़ों में क़ुरआने मजीद पढ़ा करते थे, सुब्ह़ को उन के बाल परागन्दा और चेहरा ज़र्द दिखाई देता था और वोह डगमगाते हुवे चला करते थे और उन की आंखें आंसूओं से तर रहा करती थीं और आज लोगों का येह ह़ाल है कि हर त़रफ़ लोग ग़फ़्लत और बे ख़ौफ़ी के साथ इधर उधर फिर रहे हैं, किसी के चेहरे पर ख़ौफे़ ख़ुदा का असर नज़र ही नहीं आता ! आप ने जिस दिन येह फ़रमाया, उस के बा'द फिर किसी ने कभी आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ को हंसते हुवे नहीं देखा ।
(احیاء العلوم،کتاب الخوف و الرجاء،بیان احوال الصحابۃ والتابعین والسلف الصالحین،۴/۲۲۶)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ली کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم अपने दौर के मुसमलानों की अ़मली ह़ालत पर कुढ़न का इज़्हार करते हुवे सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की इ़बादतो रियाज़त, क़ुरआने पाक की तिलावत पर इस्तिक़ामत को याद फ़रमा रहे हैं जब कि हमारा मुआ़मला येह है कि हमारे शबो रोज़ अल्लाह पाक और नबिय्ये पाक, साह़िबे लौलाक صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ना फ़रमानियों में बसर हो रहे हैं । अव्वलन तो हम से नेकियां होती नहीं, अगर कोई नेकी कर भी लें, तो येह तमन्ना हमें तंग करती रहती है कि लोगों में हमारी वाह ! वाह ! होती रहे, नेक नामी बढ़ती रहे । ऐ काश ! हमें येह सआ़दत मिल जाए कि हम अपनी नेकियों को भी उसी त़रह़ छुपाएं जिस त़रह़ अपने गुनाहों को छुपाती हैं और बस इसी को काफ़ी समझें कि अल्लाह पाक हमारी नेकियां जानता है । बिल ख़ुसूस पोशीदा नेकी करने के बा'द नफ़्स की ख़ूब निगरानी की जाए क्यूंकि हो सकता है येह इ़बादत ज़ाहिर करने की ह़िर्स नफ़्स के अन्दर जोश मारे और वोह कुछ इस