Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

Book Name:Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

दीन की सर बुलन्दी के लिये अपनी जानी व माली क़ुरबानियां पेश कीं, दीने इस्लाम की तरवीजो इशाअ़त के लिये घर बार छोड़ कर सफ़र की मुश्किलात में कभी सब्र का दामन न छोड़ा । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ हम मुसलमान हैं, हमारे हाथों में क़ुरआने करीम की सूरत में अह़कामे इलाही और अह़ादीसे करीमा की सूरत में फ़रामीने नबवी भी इन्ही मुक़द्दस हस्तियों की शबो रोज़ की मेह़्नतों और कोशिशों का नतीजा है । लिहाज़ा हमें चाहिये कि हम अपने इन एह़सान करने वालों की मह़ब्बत व अ़ज़मत को अपने दिल में बसाएं, इन के नक़्शे क़दम पर चलते हुवे अपनी ज़िन्दगी बसर करें, इन की थोड़ी से बे अदबी व गुस्ताख़ी और त़ा'नो तशनीअ़ से भी बाज़ रहें और हमेशा इन का ज़िक्रे ख़ैर करते रहें । उ़लमा फ़रमाते हैं : इन (सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان) का जब (भी) ज़िक्र किया जाए, तो ख़ैर ही के साथ होना फ़र्ज़ है ।

(बहारे शरीअ़त, 1 / 252)

ह़ज़रते सय्यिदुना बिशरे ह़ाफ़ी عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالْکَافِی का वाक़िआ़

          ह़ज़रते सय्यिदुना बिशरे ह़ाफ़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मैं एक बार ख़्वाब में ह़ुज़ूर नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ियारत से मुशर्रफ़ हुवा । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने मुझ से इरशाद फ़रमाया : ऐ बिशर ! क्या तुम जानते हो कि अल्लाह पाक ने तुम्हें तुम्हारे हम ज़माने के औलिया से ज़ियादा बुलन्द मर्तबा क्यूं अ़त़ा फ़रमाया ? मैं ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! मैं इस का सबब नहीं जानता । तो आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : بِاِتِّباعِكَ لِسُنَّتی तुम मेरी सुन्नत की पैरवी करते हो, وَخِدْمَتِكَ لِلصَّالِحِيْنَ नेक लोगों की ख़िदमत करते हो, وَنَصِيْحَتِكَ لِاِ خْوَانِك अपने इस्लामी भाइयों की ख़ैर ख़्वाही (या'नी उन्हें नसीह़त) करते हो, وَمَحَبَّتِكَ لِاَصْحابِيْ وَاَهْلِ بَيْتِيْ मेरे सह़ाबा और मेरे अहले बैत (رِضْوَانُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن) से मह़ब्बत करते हो, येही सबब है कि जिस ने तुम्हें नेक लोगों की मनाज़िल तक पहुंचा दिया ।

 (الرسالۃ القشیریۃ،ص۳۱)

          मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि ह़ज़रते सय्यिदुना बिशरे ह़ाफ़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को अहले बैते अत़्हार और सह़ाबए किराम رِضْوَانُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن से मह़ब्बत और उन की पैरवी के सबब अल्लाह पाक ने किस क़दर इनआ़मो इकराम से नवाज़ा कि इन्हें नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ियारत भी नसीब हुई और अपने ज़माने के औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن में बुलन्द मर्तबे पर फ़ाइज़ भी फ़रमा दिया । हमें भी सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की मह़ब्बत को दिल में बसा कर इन के त़रीके़ पर चलते हुवे ज़िन्दगी बसर करनी चाहिये और जो लोग इन की शान में गुस्ताख़ियां करते हैं, उन की सोह़बत से दूर रह कर ऐसे आ़शिक़ाने रसूल की सोह़बत अपना लेनी चाहिये कि जो सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की ख़ूब ख़ूब शान बयान करते हों, इन का नाम लेते वक़्त ज़बानों पर ता'ज़ीमन رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم जारी हो जाता हो ।