Book Name:Islami Bhai Charah
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! 10 जुमादल उख़रा क़ुरैश के ख़ुश नसीब ताजिर और अ़शरए मुबश्शरा में से एक प्यारे सह़ाबी, ह़ज़रते त़ल्ह़ा बिन उ़बैदुल्लाह رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का उ़र्से पाक है । आइए ! आप की मुबारक ज़िन्दगी से मुतअ़ल्लिक़ चन्द झल्कियां मुलाह़ज़ा कीजिए ।
ह़ज़रते त़ल्ह़ा बिन उ़बैदुल्लाह رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का मुख़्तसर तआ़रुफ़
ह़ज़रते अ़ल्लामा बदरुद्दीन ऐ़नी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ "शर्हे़ सुनने अबी दावूद" में आप का सिलसिलए नसब इस त़रह़ ज़िक्र करते हैं : ह़ज़रते त़ल्ह़ा बिन उ़बैदुल्लाह बिन उ़स्मान क़रशी तैमी मदनी رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ, आप की कुन्यत "अबू मुह़म्मद" है, सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने आप को "त़ल्ह़तुल ख़ैर", "त़ल्ह़तुल फ़य्याज़" और "त़ल्ह़तुल जूद" के अल्क़ाबात से याद फ़रमाया । (معجم کبیر، حدیث:۱۹۷، ۱/۱۱۲) आप कसरत से सख़ावत फ़रमाते थे । (فیض القدیر، حرف الطاء، تحت الحدیث:۵۲۷۴، ۴/۳۵۷) आप मक्कए मुकर्रमा के रेहने वाले थे, अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के क़बीले "बनू तैम" से तअ़ल्लुक़ था, आप का ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم से भी नसबी तअ़ल्लुक़ है, अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की त़रह़ आप का सिलसिलए नसब भी सातवीं पुश्त में (ह़ज़रते काब बिन मुर्रह पर) ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم से जा मिलता है । (حضرت طلحةبن عبید الله، ص ۹،ملخصا) आप ने कई ग़ज़वात में अपनी शुजाअ़त व बहादुरी दिखाई, बिल आख़िर जंगे जमल के दौरान 10 जुमादल उख़रा सिने 36 हि. (बरोज़ जुमेरात) मरवान बिन ह़कम ने आप की टांग में एक तीर मारा जिस से ख़ून की रग बुरी त़रह़ कट गई, उस का मुंह बन्द करते, तो टांग फूल जाती और अगर छोड़ते, तो कसरत से ख़ून बेहने लगता । पस आप ने इरशाद फ़रमाया : इस को ऐसे ही छोड़ दो, येह अल्लाह पाक के तीरों में से एक तीर है, यानी मेरी शहादत इसी के साथ मुक़द्दर की गई है । बस इसी के सबब 60 या 64 साल की उ़म्र में आप इस वत़ने इक़ामत को छोड़ कर वत़ने अस्ली में जा बसे । (الاستیعاب فی معرفة الاصحاب، طلحة بن عبید الله التیمی، ۲/۳۲۰۔ ملتقطاً)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आइए ! अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "फै़ज़ाने अज़ान" से अज़ान के बारे में चन्द निकात सुनने की सआ़दत ह़ासिल करते हैं । पेहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा मुलाह़ज़ा कीजिए :
1. जब अज़ान देने वाला अज़ान देता है, आसमान के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और दुआ़ क़बूल होती है । (مستدرک،۲/۲۴۳،حدیث:۲۰۴۸)
2. मोअज़्ज़िन की आवाज़ जहां तक पहुंचती है, उस के लिए मग़फ़िरत कर दी जाती है और हर तर व ख़ुश्क जिस ने उस की आवाज़ सुनी, उस के लिए इस्तिग़फ़ार करती है । (مُسنداحمد،۲ /۵۰۰ ،حدیث :۶۲۱۰)
٭ पांचों फ़र्ज़ नमाज़ें इन में जुम्आ़ भी शामिल है, जब जमाअ़ते ऊला के साथ मस्जिद में वक़्त पर अदा की जाएं, तो इन के लिए अज़ान सुन्नते मोअक्कदा है और इस का ह़ुक्म मिस्ले वाजिब है, अगर