Seerate Imam Ahmad Bin Hamnbal

Book Name:Seerate Imam Ahmad Bin Hamnbal

हमें डराने की कोशिश करें, परेशानियों का सैलाब आ जाए और बीमारियां हर त़रफ़ से घेरा डाल दें, तब भी ह़र्फ़े शिकायत ज़बान पर हरगिज़ न आए बल्कि इन पर सब्र कर के इस के बदले में मिलने वाले सवाब के तसव्वुर में यूं गुम हो जाएं कि तक्लीफ़ का एह़सास तक बाक़ी न रहे ।

          येह भी मालूम हुवा ! ह़ज़रते इमाम अह़मद बिन ह़म्बल رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ एक ज़बरदस्त आ़शिके़ रसूल भी थे, मोतसिम बिल्लाह को सिर्फ़ इस लिए मुआ़फ़ कर दिया कि वोह ह़ुज़ूर नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم से निस्बत रखने वाले, यानी आप के चचाजान, ह़ज़रते अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की औलाद में से था । ग़ौर कीजिए ! जो ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم से तअ़ल्लुक़ रखने वालों की औलाद का इस क़दर एह़तिराम करता हो, भला वोह ह़ुज़ूरे अन्वर  صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم से किस क़दर इ़श्क़ो मह़ब्बत करता होगा । लिहाज़ा हमें चाहिए कि हम भी ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم, आप की औलादे पाक, आप के सह़ाबा, आप के अहले बैत رِضْوَانُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن बल्कि आप से तअ़ल्लुक़ व निस्बत रखने वाली हर हर चीज़ का अदबो एह़तिराम करें और ऐसा माह़ोल इख़्तियार करें जहां हमें इ़श्के़ रसूल का जाम, इन हस्तियों की मह़ब्बत और इन का अदबो एह़तिराम घोल घोल कर पिलाया जाए ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ह़म्बली मस्लक के मश्हूर बुज़ुर्ग, ह़ज़रते इमाम अह़मद बिन ह़म्बल رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की सीरते मुबारका का एक रौशन पहलू येह भी है कि आप को इ़बादाते इलाही मसलन नमाज़, रोज़ों और तिलावते क़ुरआन से बेह़द मह़ब्बत थी, इ़बादाते इलाही से आप की मह़ब्बतो उल्फ़त का येह आ़लम था कि कोड़ों की ख़त़रनाक और दर्दनाक सज़ा को बरदाश्त करने के बाद भी आप के ह़ौसले बुलन्द थे और कसरत से नवाफ़िल अदा करना आप के मुबारक मामूलात में शामिल था । आइए ! ह़ज़रते इमाम अह़मद बिन ह़म्बल رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के ज़ौके़ इ़बादत के तअ़ल्लुक़ से बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के तास्सुरात सुनती हैं । चुनान्चे,

ह़ज़रते इमाम अह़मद बिन ह़म्बल رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का ज़ौके़ इ़बादत

          ह़ज़रते इदरीस ह़द्दाद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मैं ने ह़ज़रते इमाम अह़मद बिन ह़म्बल رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ को हमेशा नमाज़ पढ़ते, तिलावते क़ुरआन करते या कोई किताब पढ़ते देखा और कभी किसी दुन्यवी मुआ़मले में मश्ग़ूल न पाया, जब इन कामों में शिद्दत आ जाती, तो एक, दो या तीन दिन तक कुछ न खाते । जब अपने घरवालों को देखते, तो पानी पी लेते जिस से वोह समझते कि आप का पेट भरा हुवा है । आप के बेटे, ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मेरे वालिदे मोह़तरम हर रात एक मन्ज़िल क़ुरआने ह़कीम पढ़ते और सात दिन में क़ुरआने मजीद ख़त्म फ़रमाते फिर सुब्ह़ तक खड़े हो कर इ़बादत करते रेहते, आप हर दिन तीन सौ रक्अ़त नमाज़ अदा करते थे । जब आप पर कोड़े बरसाए गए, तो आप कमज़ोर पड़ गए और फिर हर दिन एक सौ पचास रक्अ़त अदा