Shetan Ki Insan Se Dushmani

Book Name:Shetan Ki Insan Se Dushmani

फ़ी ज़माना आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी का मदनी माह़ोल किसी नेमत से कम नहीं, लिहाज़ा अगर हम चाहती हैं कि हम नेक बन कर ईमान की ह़िफ़ाज़त करने वाली बन जाएं, तो आज ही दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो कर अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के दामने करम से वाबस्ता हो जाइए और सुन्नतों की धूमें मचाने के लिए 8 मदनी कामों में बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लीजिए ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

शैत़ान क्यूं मर्दूद हुवा ?

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइए ! शैत़ान मर्दूद के बारे में सुनती हैं कि येह कौन था और इस पर येह आफ़त क्यूं आई कि अल्लाह पाक ने इस को हमेशा के लिए अपनी पाक बारगाह से मर्दूद क़रार दे दिया ।

          याद रखिए ! बदबख़्त व लानती क़रार दिए जाने से पेहले शैत़ान ख़ूब सूरत, ह़सीन, बहुत ज़ियादा इ़ल्म रखने वाला, बहुत ज़ियादा इ़बादत करने वाला, फ़िरिश्तों का सरदार था, इस को फ़िरिश्तों में एक ख़ास मक़ाम ह़ासिल था । ह़ुज़ूعَلَیْہِ السَّلَام ने इरशाद फ़रमाया : फ़िरिश्तों कोन नूर से पैदा किया गया, इब्लीस को ख़ालिस आग से पैदा किया गया । ( مسلم، کتاب الزہد والرقائق، باب فی احادیث متفرقۃ، ص۱۲۲۱،حدیث:۷۴۹۵)

        इब्लीस जिस को शैत़ान कहा जाता है, फ़िरिश्तों का सरदार बनने से पेहले येह चालीस हज़ार साल तक जन्नत के ख़ज़ाने का निगरान रहा, अस्सी हज़ार साल तक फ़िरिश्तों के साथ रहा, बीस हज़ार साल तक फ़िरिश्तों को बयान सुनाता रहा, तीस हज़ार साल तक मुक़र्रबीन फ़िरिश्तों (जैसे ह़ज़रते जिब्राईल व हज़रते इज़राईल عَلَیْہِمَا السَّلَام वग़ैरा) का सरदार रहा, एक हज़ार साल तक रूह़ानिय्यीन (यानी सूरज चांद से ज़ियादा रौशन चेहरे वाले मख़्सूस फ़िरिश्तों) का सरदार रहा, 14 हज़ार साल तक अ़र्श का त़वाफ़ करता रहा, पेहले आसमान में इस का नाम आ़बिद, दूसरे में ज़ाहिद, तीसरे में आ़रिफ़, चौथे में वली, पांचवें में तक़ी, छटे में ख़ाज़िन और सातवें आसमान में अ़ज़ाज़ील था जब कि लौह़े मह़फ़ूज़ में इस का नाम इब्लीस (यानी अल्लाह की रह़मत से ना उम्मीद) लिखा हुवा था और येह अपने अन्जाम से बे ख़बर था । (अ़जाइबुल क़ुरआन मअ़ ग़राइबुल क़ुरआन, स. 253. मुलख़्ख़सन)

        जब अल्लाह पाक ने इसे ह़ज़रते आदम عَلَیْہِ السَّلَام को सजदा करने का ह़ुक्म दिया, तो केहने लगा : ऐ अल्लाह ! तू ने इसे मुझ पर फ़ज़ीलत दे दी, ह़ालांकि मैं इस से बेहतर हूं, तूने मुझे आग से और इसे मिट्टी से पैदा किया है, मैं आग का हो कर इस मिट्टी से बने हुवे इन्सान को सजदा करूं ? तो रब्बे करीम ने फ़रमाया : मैं जो चाहता हूं वोह करता हूं । तमाम फ़िरिश्तों ने ह़ज़रते आदम عَلَیْہِ السَّلَام को सजदा किया, मगर शैत़ान मर्दूद ने तकब्बुर की वज्ह से सजदा नहीं किया, तो फ़िरिश्तों ने अल्लाह करीम का शुक्र अदा करने के लिए दूसरा सजदा शुक्राने के त़ौर पर किया, लेकिन शैत़ान उन से बे तअ़ल्लुक़ खड़ा रहा और इसे अपने