Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at

Book Name:Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at

रास्ते में फ़ुज़ूल बातों में मश्ग़ूल न हो । (ऐज़न) ٭ क़ब्र को बोसा न दें, न क़ब्र पर हाथ लगाएं । (फ़तावा रज़विय्या मुख़र्रजा, 9 / 522, 526) बल्कि क़ब्र से कुछ फ़ासिले पर खड़े हो जाए, क़ब्र को सजदए ता'ज़ीमी करना ह़राम है और अगर इ़बादत की निय्यत हो, तो कुफ्ऱ है । (माख़ूज़ अज़ फ़तावा रज़विय्या, 22 / 423)  ٭ क़ब्रिस्तान में उस आम रास्ते से जाए जहां माज़ी में कभी भी मुसलमानों की क़ब्रें न थीं, जो रास्ता नया बना हुवा हो उस पर न चले । रद्दुल मुह़तार में है : (क़ब्रिस्तान में क़ब्रें पाट कर) जो नया रास्ता निकाला गया हो, उस पर चलना ह़राम है । (رَدُّ الْمُحتار ،۱/۶۱۲) ٭ बल्कि नए रास्ते का सिर्फ़ गुमान हो तब भी उस पर चलना नाजाइज़ व गुनाह है । (دُرِّ مُختار ،۳/۱۸۳) ٭ कई मज़ाराते औलिया पर देखा गया है कि ज़ाइरीन की सहूलत की ख़ात़िर मुसलमानों की क़ब्रें मिस्मार (या'नी तोड़ फोड़) कर के फ़र्श बना दिया जाता है, ऐसे फ़र्श पर लेटना, चलना, खड़ा होना, तिलावत और ज़िक्रो अज़्कार के लिये बैठना वग़ैरा ह़राम है, दूर ही से फ़ातिह़ा पढ़ लीजिये । ٭ ज़ियारते क़ब्र मय्यित के मवाजहा में (या'नी चेहरे) के सामने खड़े हो कर हो और उस (या'नी क़ब्र वाले) की पाइंती (या'नी क़दमों) की त़रफ़ से जाए कि उस की निगाह के सामने हो, सिरहाने से न आए कि उसे सर उठा कर देखना पड़े । (फ़तावा रज़विय्या मुख़र्रजा, 9 / 532)

त़रह़ त़रह़ की हज़ारों सुन्नतें सीखने के लिये मक्तबतुल मदीना की मत़बूआ दो कुतुब (1) 312 सफ़ह़ात पर मुश्तमिल किताब बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा 16 और (2) 120 सफ़ह़ात की किताब "सुन्नतें और आदाब" इस के इ़लावा शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत के दो रसाइल "101 मदनी फूल" और "163 मदनी फूल" हदिय्यतन त़लब कीजिये और पढि़ये । सुन्नतों की तरबिय्यत का एक बेहतरीन ज़रीआ दा'वते इस्लामी के मदनी क़ाफ़िलों में आशिक़ाने रसूल के साथ सुन्नतों भरा सफ़र भी है ।

लूटने रह़मतें क़ाफ़िले में चलो

सीखने सुन्नतें क़ाफ़िले में चलो