Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at

Book Name:Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at

वोह मौत के वक़्त सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ियारत करेगा और क़ब्र में दाख़िल होते वक़्त भी, यहां तक कि वोह देखेगा कि सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उसे क़ब्र में अपने रह़मत भरे हाथों से उतार रहे हैं ।

(اَفْضَلُ الصَّلَوات عَلٰی سَیِّدِ السّادات ص۱۵۱ملخصًا)

        اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ  وَجَلَّ ! दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार इजतिमाअ़ में शिर्कत की बरकत से येह दुरूदे पाक हर जुमा'रात पढ़ने की सआदत मिलती है । आप भी पाबन्दी से हर जुमा'रात हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में शिर्कत की निय्यत फ़रमा लीजिये ।

)11(...क़ब्र की ग़म गुसार

        ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम बिन अदहम عَلَیْہِ رَحْمَۃُ اللّٰہِ الْاَکْرَم फ़रमाते हैं कि   मैं ने एक जनाज़े को कन्धा देने के बा'द कहा कि अल्लाह पाक मेरे लिये मौत में बरकत दे । तो एक ग़ैबी आवाज़ सुनाई दी : और मौत के बा'द भी । येह सुन कर मुझ पर बहुत ख़ौफ़ त़ारी हुवा । जब लोग उसे दफ़्न कर चुके, तो मैं क़ब्र के पास बैठ कर अह़वाले आख़िरत पर ग़ौरो फ़िक्र करने लगा । अचानक क़ब्र से एक ह़सीनो जमील शख़्स बाहर निकला, उस ने साफ़ सुथरे कपड़े पहन रखे थे जिन से ख़ुश्बू महक रही थी । उस ने मुझ से कहा कि : ऐ इब्राहीम ! मैं ने कहा : "लब्बैक ।" फिर मैं ने उन से पूछा : अल्लाह करीम आप पर रह़म फ़रमाए, आप कौन हैं ? उन्हों ने जवाब दिया : तख़्त पर से "मौत के बा'द भी" कहने वाला मैं ही हूं । मैं ने कहा कि आख़िर आप का नाम क्या है ? तो उन्हों ने कहा कि मेरा नाम सुन्नत है, मैं दुन्या में इन्सान की हमदर्द होती हूं और क़ब्र में नूर व मूनिस व ग़म गुसार और क़ियामत में जन्नत की त़रफ़ रहनुमा और क़ाइद बनती हूं ।

(शर्हु़स्सुदूर, स. 204)