Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at

Book Name:Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at

अ़ज़ाबे क़ब्र के अस्बाब में से है, मस्जिद में हंसना क़ब्र में अन्धेरा लाने के अस्बाब में से है ।

मौत को याद करने का फ़ाइदा

          प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने हमें कसरत से मौत को याद करने की तरग़ीब इरशाद फ़रमाई है, इस की बरकत से اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ क़ब्र जन्नत का बाग़ होगी । जैसा कि ह़ज़रते सय्यिदुना अनस बिन मालिक رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से रिवायत है कि सरकारे मदीना, राह़ते क़ल्बो सीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जिसे मौत की याद ख़ौफ़ज़दा करती है, क़ब्र उस के लिये जन्नत का बाग़ बन जाएगी ।  (جمع الجوامع،الحدیث ۳۵۱۶،ج۲،ص۱۴)

अभी से तय्यारी कर लीजिये !

          शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ हमें क़ब्रो ह़श्र की तय्यारी का जे़हन अ़त़ा करते हुवे फ़रमाते हैं :

मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! वाके़ई़ अ़क़्लमन्द वोही है जो मौत से क़ब्ल मौत की तय्यारी करते हुवे नेकियों का ज़ख़ीरा इकठ्ठा कर ले और सुन्नतों का मदनी चराग़ क़ब्र में साथ ले जाए और यूं क़ब्र की रौशनी का इन्तिज़ाम कर ले, वरना क़ब्र हरगिज़ येह लिह़ाज़ न करेगी कि मेरे अन्दर कौन आया ? अमीर हो या फ़क़ीर, वज़ीर हो या उस का मुशीर, ह़ाकिम हो या मह़कूम, अफ़्सर हो या चपरासी, सेठ हो या मुलाज़िम, डॉक्टर हो या मरीज़, ठेकेदार हो या मज़दूर, अगर किसी के साथ भी तोशए आख़िरत में कमी रही, नमाज़ें क़स्दन क़ज़ा कीं, रमज़ान शरीफ़ के रोज़े बिला उ़ज्रे़ शरई़ न रखे, फ़र्ज़ होते हुवे भी ज़कात न दी, ह़ज फ़र्ज़ था मगर अदा न किया, बा वुजूदे क़ुदरत शरई़ पर्दा नाफ़िज़ न किया, मां-बाप की ना फ़रमानी की, झूट, ग़ीबत, चुग़ली की आदत रही, फ़िल्में, ड्रामे देखते रहे, गाने, बाजे सुनते रहे, अल ग़रज़ ! ख़ूब गुनाहों का बाज़ार गर्म रखा,