Eman Ki Hifazat

Book Name:Eman Ki Hifazat

ख़्वाहिश को पूरा करना हमारे ज़िम्मे है । फिर उस जुरअत वाली मोमिना को उबलते हुवे तेल में डाल दिया गया, कुछ ही देर बा'द उस की हड्डियां भी तेल की सत़ह़ पर तैरने लगीं ।

          रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : शबे मे'राज मैं ने एक बेहतरीन ख़ुश्बू सूंघी, तो पूछा : ऐ जिब्रईल (عَلَیْہِ السَّلَام) ! येह ख़ुश्बू कैसी ? कहा : फ़िरऔ़न की बेटी की ख़ादिमा और उस के बच्चों की ख़ुश्बू है ।

(کنزالعمال،کتاب الفضائل،باب فی فضائل من لیسوا…الخ، جزء:۱۴، ۷/۱۰،حدیث: ۳۷۸۳۴ ملتقطاً و ملخصاً, उ़यूनुल ह़िकायात, ह़िस्सा दुवुम, 141-142)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          سُبْحٰنَ اللّٰہ ! प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि कैसा पक्का ईमान था उस मोमिना, सब्रो शुक्र करने वाली औ़रत का कि अपनी आंखों के सामने अपने जिगर के टुक्ड़ों को एक एक कर के शहीद होता देखा लेकिन फिर भी उस के सब्र का पैमाना लबरेज़ न हुवा, बच्चों समेत ख़ुद अपनी जान दे दी लेकिन ईमान की दौलत हाथ से नहीं जाने दी । यक़ीनन जिन्हें ईमान की क़द्र मा'लूम होती है, वोह किसी भी क़ीमत पर लम्ह़ा भर के लिये ईमान नहीं छोड़ते, उन्हें दीनो ईमान की ख़ात़िर सर कटाने में लज़्ज़त मह़सूस होती है । अल्लाह पाक की बारगाह में जान देना उन्हें मह़बूब होता है, उन का ईमान इतना मज़बूत़ होता है कि दुन्या की कोई त़ाक़त उन के दिल को ईमान से ख़ाली नहीं कर सकती । जभी तो उन नेक सीरत लोगों पर अल्लाह पाक के इनआ़मो इकराम की बारिशें होती हैं, मरने के बा'द भी उन की क़ब्रों से ख़ुश्बूएं आती हैं । अफ़्सोस ! सद अफ़्सोस ! फ़ी ज़माना ईमान पर क़ाइम रहना बहुत मुश्किल हो चुका है, बा'ज़ नादान बैरूने मुल्क (Overseas) जा कर मालो दौलत कमाने के लालच में अपने वीज़ा फ़ॉर्म पर अपने आप को झूट मूट ग़ैर मुस्लिम लिखवा देते हैं और ख़ुद को दोज़ख़ का ह़क़दार बनाने का सामान करते हैं ।

          शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपनी किताब "कुफ़्रिय्या कलिमात के बारे में सुवाल जवाब" में ऐसे लोगों का ह़ुक्म बयान करते हुवे फ़रमाते हैं : (ऐसा करना) कुफ़्र है । बा'ज़ लोग जो इज़ालए क़र्ज़ व तंगदस्ती (या'नी क़र्ज़ की अदाएगी और ग़ुर्बत को दूर करने) या दौलत की ज़ियादती (बढ़ाने) के लिये ग़ैर मुस्लिमों के यहां नौकरी की ख़ात़िर या वीज़ा फ़ॉर्म पर या किसी त़रह़ की रक़म वग़ैरा की बचत के लिये दरख़ास्त पर ख़ुद को ग़ैर मुस्लिम क़ौम का फ़र्द लिखते या लिखवाते हैं, उन पर ह़ुक्मे कुफ़्र है । (कुफ़्रिय्या कलिमात के बारे में सुवाल जवाब, स. 453)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! दीने इस्लाम बहुत ही अ़ज़मत व शान वाला मज़हब है, जिन पर अल्लाह पाक का फ़ज़्लो करम होता है, उन्हें दुन्या में ईमान की दौलत नसीब हो जाती है और ईमान पर साबित क़दम रहने वाले ख़ुश नसीब दोनों जहां में सआ़दत मन्द होते हैं । लिहाज़ा इस ने'मत की ह़िफ़ाज़त करना, इस की क़द्र को समझते हुवे इस पर इस्तिक़ामत से क़ाइम रहना, हर मुसलमान पर लाज़िम व ज़रूरी है क्यूंकि एक मुसलमान